गाजीपुर बॉर्डर : कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन को तीन महीने हो चुके हैं, ऐसे में सरकार के प्रति किसानों में बेहद आक्रोश है।
इसी आक्रोश के चलते किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी धर्मेद्र मालिक ने कृषक समृद्धि आयोग के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है।
मलिक ने जानकारी साझा करते हुए कहा, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 10 नवंबर 2017 को गठित कृषक समृद्धि आयोग से किसान प्रतिनिधि के तौर पर नामित सदस्य पद से अपना त्यागपत्र देता हूं।
आयोग के गठन के लिए मुख्यमंत्री जी का आभार, लेकिन आयोग अपना उद्देश्य पूरा नहीं पाया।
उन्होंने सीएम को भेजे पत्र में लिखा, इस आयोग का उद्देश्य किसानों की समस्याओं की जानकारी लेकर समाधान करना था।
आयोग में गैर सरकारी सदस्य एवं किसान संगठन के प्रतिनिधि के तौर पर मुझे नामित किया गया था।
उन्होंने कहा, बड़े दुख का विषय है कि लगभग साढ़े तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद आयोग की एक बैठक का आयोजन नहीं किया गया, आज देशभर में हाल ही में लाए गए तीनों कृषि कानूनों को लेकर भारत सरकार और किसानों के बीच का गतिरोध चल रहा है।
पिछले तीन माह से किसानों ने भरी सर्दी में अपना समय सड़क पर बिता दिया, लेकिन भारत सरकार किसानों की समस्या का आज तक कोई समाधान नहीं निकाला गया।
इस पत्र में मलिक ने आगे लिखा है, कृषि कानून पर कृषक समृद्धि आयोग की तरफ से भारत सरकार को कोई सुझाव नहीं भेजा गया।
इस विषय पर उत्तर प्रदेश के किसानों की राय संवाद के माध्यम से जानने के लिए कोई बैठक भी आयोग द्वारा नहीं की गई, जिस उद्देश्य को लेकर आयोग का गठन किया गया था, आयोग उस उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाया।
हालांकि इस मसले पर जब उनसे पूछा गया कि क्या लोगों के अंदर आपके प्रति नाराजगी है, इसलिए आपने ये कदम उठाया?
जवाब में धर्मेद्र मलिक ने आईएएनएस से कहा, मैं किसान संगठन के प्रतिनिधि के तौर पर था।
मैं भाजपा का सदस्य नहीं हूं। किसानों के लिए जो आयोग बनते हैं, उसमें किसान प्रतिनिधियों के लोगों को रखा जाता है।
दरअसल, आयोग के पद पर बने रहते वह कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध कर रहे थे। इसलिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों में इस बात को लेकर नाराजगी थी।