बोस्टन: हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर को चीन संचालित भर्ती कार्यक्रम से जुड़े होने की बात छिपाने का दोषी पाया गया है।
हार्वर्ड के रसायन विज्ञान एवं रासायनिक जीव विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष, चार्ल्स लिबर (62) ने झूठे कर रिटर्न दाखिल करने के दो आरोप, झूठे बयान देने के दो आरोप आदि में दोषी नहीं होने की बात कही थी।
बोस्टन की संघीय अदालत में पांच दिनों तक चली सुनवाई के बाद, ज्यूरी ने फैसला सुनाने से पहले लगभग दो घंटे 45 मिनट तक विचार-विमर्श किया।
लिबर के वकील मार्क मुकासी ने तर्क दिया था कि अभियोजकों के पास आरोप साबित करने के सबूत नहीं थे। जांचकर्ताओं ने लिबर की गिरफ्तारी से पहले उनके साथ हुई पूछताछ का भी कोई ब्योरा नहीं रखा।
उन्होंने तर्क दिया कि अभियोजक यह साबित नहीं कर पाएंगे कि लिबर ने जानबूझकर,इरादतन या मर्जी से ऐसा काम किया या उन्होंने कोई भी गलत बयान दिया।
वहीं अभियोजकों ने तर्क दिया कि लिबर ने जानबूझकर चीन की थाउजेंट टैलेंट प्लान योजना से खुद के जुड़े होने की बात को छिपाया।
इस कार्यक्रम को विदेशी प्रौद्योगिकी एवं बौद्धिक संपदा का ज्ञान रखने वाले लोगों को चीन में भर्ती करने के लिए तैयार किया गया है। लिबर को इस मामले में जनवरी 2020 में गिरफ्तार किया गया था।
गिरफ्तारी के बाद से ही वह हार्वर्ड से सवैतनिक प्रशासनिक अवकाश पर हैं।