नई दिल्ली: चीनी कब्जे वाली तिब्बत सीमा तक पहुंच आसान बनाने के लिए बनाया जा रहा ब्रिज अचानक ढह गया।
इस हादसे में तीन मजदूरों की मौत हुई है और 9 श्रमिक लापता हैं।
उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा के दो दिन बाद ही तिब्बत सीमा के करीब बीआरओ के इस निर्माणाधीन ब्रिज के ढहने से चिंता की लकीरें उठना स्वाभाविक है क्योंकि दोनों हादसे चीन की सीमा सेे 100 किमी. के भीतर हुए हैं।
भारत की प्रमुख रणनीतिक परियोजना दंतक के तहत रक्षा मंत्रालय के अधीन सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) तिब्बत सीमा के करीब भूटान में 204 मीटर लम्बा वांगचू ब्रिज बना रहा था।
यह ब्रिज बीआरओ द्वारा बनाई जा रही 12 किलोमीटर लम्बी दमचू-हाए लिंक रोड पर है। यह ब्रिज तिब्बत सीमा के पास भूटान के वानोखा, पारो में चुज़ोम-हा सड़क से जुड़ता है।
बीआरओ ने इस ब्रिज का निर्माण लगभग पूरा कर लिया था और कुछ ही दिनों में निर्माण कार्य पूरा होने के करीब था।
भूटान में इस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 204 मीटर लंबे वांगचू ब्रिज का निर्माण भारतीय सेना के बीआरओ द्वारा प्रोजेक्ट दंतक के तहत किया जा रहा था।
मंगलवार रात को अचानक 204 मीटर लम्बे वांगचू ब्रिज का एक हिस्सा भरभरा ढह गया। अचानक हुए इस हादसे के वक्त ब्रिज पर कार्य कर रहे मजदूरों को संभलने का भी मौका नहीं मिला।
भूटान ब्रिज ढहने से तीन श्रमिक मारे गए और लगभग 9 लापता हैं। इनकी खोज और मारे गए मजदूरों के शवों को मलबे से निकालने के लिए बचाव व राहत कार्य शुरू कर दिया गया है।
चीन के कब्जे वाली तिब्बत सीमा तक पहुंच बनाने के लिए भारत ने प्रमुख परियोजना दंतक के तहत इस ब्रिज का निर्माण कराने का फैसला लिया था।
उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से आई तबाही के दो दिन बाद ही इस ब्रिज के ढहने से आनेवाले समय में तिब्बती सीमा पर लॉजिस्टिक कार्यों के प्रभावित होने की संभावना है।