भोपाल: मध्य प्रदेश में आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के साथ बसपा भी अपनी ताकत आजमाने की तैयारी में है, इसके लिए वह दावेदारों की स्थिति की समीक्षा कर रही है।
राज्य में फिलहाल नगरीय निकाय के चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है, मगर यह माना जा रहा है कि आने वाले दो-तीन माह में यह चुनाव हो सकते हैं।
राज्य में भाजपा की सरकार है और पिछले नगरीय निकाय चुनाव में सभी 16 नगर निगम पर भाजपा का कब्जा रहा था।
साथ ही नगर पालिका और नगर परिषद में भी भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की थी।
भाजपा चुनाव की तैयारी में लगी हुई है, कांग्रेस भी चुनावों को पूरी ताकत से लड़ने की तैयारी में है, तो वहीं बसपा भी अपनी रणनीति बना रही है।
बसपा सूत्रों का कहना है कि नगरी निकाय चुनाव से पहले जॉन, विधानसभा व जिले स्तर पर पदाधिकारियों के क्रियाकलापों की जानकारी जुटाई जा रही है और यह जानकारी प्रदेश कार्यालय तक आ रही है।
जिला स्तर से आने वाले ब्यौरे के बाद ही आगे की रणनीति पर काम किया जाएगा, जिन क्षेत्रों के पदाधिकारियों की गतिविधियां कमजोर रही हैं या जिनका काम पार्टी की अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है, उन पर कार्रवाई भी की जा सकती है, पार्टी लगातार पदाधिकारियों की समीक्षा कर रही है और आगामी समय में सक्रिय उम्मीदवारों को मैदान में उतारा जाए, इस पर भी मंथन का दौर जारी है।
राज्य के ग्वालियर, चंबल और विंध्य क्षेत्र में बसपा का प्रभाव रहा है।
वर्तमान में बसपा के दो विधायक भी हैं, इतना ही नहीं विधानसभा के उपचुनाव में बसपा ने जीत भले ही दर्ज न की हो मगर नतीजों पर असर डाला है।
यही कारण है कि बसपा नगरीय निकाय के चुनावों को पूरी ताकत से लड़ना चाह रही है।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि ग्वालियर, चंबल, मालवा और बुंदेखलंड के ग्रामीण इलाकों में बसपा का प्रभाव है, मगर आगामी समय में नगरीय निकाय के चुनाव होने वाले हैं।
नगर निगम और नगर पालिका क्षेत्रों में बसपा का ज्यादा असर नहीं दिखेगा, मगर नगर पंचायतों के चुनाव में बसपा बड़ा असर डाल सकती है।