BUDGET 2024 : आज यानी 1 फरवरी को संसद में बजट 2024-25 पेश होगा। यह भाजपा की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट है, लेकिन यह अंतरिम बजट होगा, क्योंकि इसके बाद लोकसभा चुनाव 2024 होंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) का यह छठा और पहला अंतरिम बजट होगा। मोदी सरकार का पहला बजट 10 जुलाई 2014 को पेश किया गया था और इसे उस समय के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पटल पर रखा था।
दावा- टैक्स में छूट को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं
क्योंकि आज पेश होने वाला बजट अंतरिम बजट (Interim Budget) है, इसलिए इसमें कोई फैसला नहीं होगा, लेकिन क्या इस बजट में इनकम टैक्स में छूट मिलेगी या नहीं, इस पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं।
वैसे दावा किया जा रहा है कि बजट में टैक्स में छूट देने संबंधी कोई प्रस्ताव मोदी सरकार ने नहीं बनाया है। इसलिए नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत टैक्स में छूट की सीमा नहीं बढ़ाई जाएगी, लेकिन मोदी सरकार टैक्स में छूट देने संबंधी अपना प्लान जरूर बता सकती है।
महिलाओं के लिए अलग टैक्स स्लैब
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मोदी सरकार अपने अंतरिम बजट 2024 में महिलाओं के लिए अलग टैक्स स्लैब की घोषणा की कर सकती है। साल 2012-13 में कांग्रेस सरकार ने महिलाओं के लिए अलग टैक्स स्लैब को खत्म कर दिया था, लेकिन मोदी सरकार 12 साल बाद इस सिस्टम को फिर से शुरू कर सकती है। वहीं महिलाओं के लिए टैक्स में छूट की लिमिट को 7 से बढ़ाकर 8 लाख रुपये किया जा सकता है।
पिछले साल क्या छूट मिली थी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023-24 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महिलाओं के लिए इनकम टैक्स में छूट की लिमिट 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दी थी। बेसिक लिमिट को भी ढाई से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया था। 2023 के बजट में टैक्स का स्लैब भी बदला गया था। अब 7 नहीं 6 टैक्स स्लैब हैं।
3 लाख रुपये तक की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं लगता। 3 से 6 लाख तक की सैलरी पर 5 प्रतिशत टैक्स लगता है। 6 से 9 लाख रुपये की सैलरी पर 10 प्रतिशत, 9 से 12 लाख रुपये सैलरी पर 15 प्रतिशत, 12 से 15 लाख रुपये सैलरी पर 20 प्रतिशत और 15 लाख या इससे ज्यादा सैलरी पर 30 प्रतिशत टैक्स लगता है। महिलाओं के लिए 7 लाख रुपये तक की सैलरी पर टैक्स में छूट का प्रावधान है।
बजट 2022 में टैक्स रिबेट और बदलाव
साल 2022 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया था। उस समय टैक्स की स्लैब 7 थीं। 2.5 लाख तक की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं था। 2.5 से 5 लाख तक सैलरी पर 5 प्रतिशत, 5 से 7.5 लाख तक 10 प्रतिशत, 7.5 लाख से 10 लाख तक 15 प्रतिशत, 10 लाख से 12.5 लाख तक सैलरी पर 20 प्रतिशत, 12.5 लाख से 15 लाख तक 25 प्रतिशत और 15 लाख या इससे ज्यादा प्रति वर्ष आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगता था।