नई दिल्ली : 7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी के ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट गया जिससे हिमस्खलन हुआ और अलकनंदा नदी प्रणाली में बाढ़ आ गई जिसमें हाइड्रोइलेक्ट्रिक स्टेशन बह गए और कई कर्मचारी फंस गए।
गंगा नदी की बड़ी सहायक नदियों में शामिल धौली गंगा, ऋषि गंगा और अलकनंदा नदी में अचानक दिन में आई बाढ़ से इस उच्च पर्वतीय क्षेत्र में बड़े पैमाने पर तबाही हुई और भय का माहौल बना।
आकस्मिक बाढ़ में ऋषि गंगा हाइडल परियोजना के ठीक नीचे और तपोवन हाइडल परियोजना के लगभग दो किलोमीटर ऊपर जोशीमठ-मलारी रोड पर स्थित 90 मीटर में फैला आरसीसी पुल भी बह गया जो कि नीति सीमा तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता था।
इस पुल के बह जाने से उत्तराखंड के चमोली जिले के 13 से अधिक सीमावर्ती गांवों में लोग फंस गए हैं।
इस स्थिति में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने बचाव और पुनर्वास के लिए 100 से अधिक वाहनों/उपकरणों और संयंत्रों के साथ तुरंत कार्रवाई शुरू की।
इनमें पृथ्वी पर चलने वाले लगभग 15 भारी उपकरण शामिल हैं जैसे कि हाइड्रॉलिक उत्खनक, बुलडोजर, जेसीबी, व्हील लोडर्स आदि।
सीमा सड़क संगठन ने भारतीय वायु सेना की मदद से भी महत्वपूर्ण हवाई उपकरणों को अपनी कार्रवाई में शामिल किया।
प्रोजेक्ट शिवालिक के 21 बीआरटीएफ के लगभग 200 जवान इस बचाव और पुनर्वास कार्य के लिए तैनात किए गए हैं।