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बुलडोजर एक्शन देश के कानून को ध्वस्त करने जैसा, सुप्रीम कोर्ट ने…

Supreme Court On bulldozes Justice: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फिर बुलडोजर जस्टिस पर कड़ी टिप्पणी कर कहा कि सरकारी अधिकारियों का ऐसा करना देश के कानून को ध्वस्त करने जैसा है।

शीर्ष अदालत ने साफ किया कि अपराध में शामिल होना किसी की संपत्ति को ढहाने का आधार नहीं हो सकता। आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर एकशन की शुरुआत सबसे पहले यूपी की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने की थी। उसके बाद अब मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे कुछ बाकी राज्य भी उसी राह पर निकल चुके हैं।

यह मामला गुजरात के एक परिवार का था, जिन्होंने अपने घर पर बुलडोजर कार्रवाई की धमकी के खिलाफ याचिका दायर की थी। जस्टिस ऋषिकेश रॉय, सुधांशु धूलिया और एस वी एन भट्टी की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि एक सदस्य द्वारा कथित अपराध के लिए पूरे परिवार को घर गिराकर दंडित नहीं कर सकते। अदालत इस तरह की तोड़फोड़ की धमकियों से बेखबर नहीं रह सकती, देश में ऐसी कल्पना भी नहीं की जा सकती जहां कानून सर्वोपरि है।

पीठ ने कहा, ऐसी कार्रवाइयों को देश के कानून पर बुलडोजर चलाने जैसा माना जा सकता है। बेंच ने कहा कि उस देश में जहां राज्य के कार्य कानून के नियमों से बंधे हैं, वहां परिवार के एक सदस्य द्वारा अपराध के लिए परिवार के अन्य सदस्यों या उनके कानूनी रूप से बने घर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती।

नगर पालिका ने घर गिराने की दी थी धमकी

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील इकबाल सैयद ने बताया कि परिवार पिछले दो दशकों से जिस घर में रह रहा है, उसके निर्माण में कोई गैरकानूनी बात नहीं है।

उन्होंने 2004 में ग्राम पंचायत की तरफ से पारित उस प्रस्ताव का भी हवाला दिया जिसमें आवासीय घर बनाने की अनुमति दी गई थी। दरअसल, परिवार के एक सदस्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होने के बाद नगर पालिका ने घर गिराने की धमकी दी थी।

याचिकाकर्ता का आरोप है कि कानून को अपराध के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ अपना काम करना चाहिए, लेकिन पूरे परिवार को दंडित नहीं किया जाना चाहिए। Supreme Court ने मामले की सुनवाई 4 हफ्ते बाद तय करते हुए याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत दे दी है।

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