नई दिल्ली: केंद्र सरकार के 48 लाख से ज्यादा कर्मियों और 65 लाख रिटायर्ड लोगों का इंतजार खत्म हो गया है।
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में डीए-डीआर यानी ‘महंगाई भत्ता व महंगाई राहत’ पर 18 माह से लगी रोक हटाने का निर्णय लिया।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, सरकारी कर्मियों को यह भत्ता एक जुलाई 2021 से मिलेगा। भत्ते की दर 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दी गई है।
हालांकि केंद्रीय कर्मियों को यह पूरी उम्मीद थी कि सरकार उनका 18 माह के एरियर को लेकर भी कोई घोषणा करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
केंद्र सरकार के कार्मिकों के प्रतिनिधि समूह ‘नेशनल काउंसिल ऑफ जेसीएम’ ने 26 जून को डीओपीटी और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में इस मुद्दे को संजीदगी से उठाया था।
बैठक की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने की थी। प्रतिनिधि समूह ने कैबिनेट सचिव से आग्रह किया था कि डीए की राशि के अलावा 18 महीने का एरियर भी जारी किया जाए।
कैबिनेट सचिव की तरफ से कहा गया था कि इस बाबत अंतिम रिपोर्ट तैयार उसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज रहे हैं। केंद्र सरकार एक करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मियों और पेंशनरों को निराश नहीं करेगी।
‘स्टाफ साइड’ की राष्ट्रीय परिषद ने इससे पहले भी कर्मियों के वेतन भत्ते और रिटायर्ड लोगों को महंगाई राहत दिलाने के लिए वित्त मंत्रालय के साथ कई बैठकें की थीं।
जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा और सदस्य सी. श्रीकुमार के अनुसार, सबसे पहले वित्त मंत्रालय में तत्कालीन राज्य मंत्री रहे अनुराग ठाकुर ने ही यह घोषणा की थी कि कर्मियों को उनके डीए की राशि मिलेगी।
केंद्र सरकार के एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारी और पेंशनर बीते 18 माह से महंगाई भत्ते एवं महंगाई राहत मिलने का इंतजार कर रहे थे।
कोरोना के चलते जनवरी 2020 से महंगाई भत्ता और महंगाई राहत (17 प्रतिशत) बंद है। उस वक्त एलटीसी जैसे अन्य भत्तों पर भी रोक लगाई गई थी।
कर्मियों का डीए, मई 2020 में 21 प्रतिशत था, एक जुलाई 2021 को वह 31 फीसदी हो गया है।
केंद्र सरकार को यह बात अच्छे से बताई गई है कि सेना, रेलवे, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, कृषि और दूसरे मंत्रालयों के अंतर्गत काम करने वाले कार्मिकों ने निस्वार्थ भाव से सरकार का साथ दिया है।
18 माह के दौरान अनेक सरकारी कर्मचारी रिटायर हो गए। अनेक कर्मी व पेंशनर का निधन हो गया है। उन्हें डीए व डीआर न मिलने का भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।