नई दिल्ली: देश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.3 फीसदी रहा।
राजकोषीय घाटा वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान 9.5 फीसदी से कम है। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) ने सोमवार को यह जानकारी दी।
महालेखा नियंत्रक ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष में राजस्व घाटा 7.42 फीसदी था।
यह निरपेक्ष रूप से राजकोषीय घाटा 18,21,461 करोड़ रुपये होता है, जो प्रतिशत में जीडीपी का 9.3 फीसदी है।
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए फरवरी, 2020 में बजट पेश करते वक्त शुरू में राजकोषीय घाटा 7.96 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 3.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था।
लेकिन, वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में पिछले वित्त वर्ष 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटा के अनुमान को संशोधित कर 9.5 फीसदी यानी 18,48,655 करोड़ रुपये कर दिया गया।
दरअसल कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण राजस्व प्राप्ति में कमी को देखते हुए राजकोषीय घाटे के अनुमान को बढ़ाया गया।
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी का 4.6 फीसदी रहा था। मुख्य रूप से राजस्व कम होने से राजकोषीय घाटा बढ़ा है।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में लेखा महानियंत्रक, भारत सरकार के प्रधान लेखा सलाहकार होता है। सीजीए तकनीकी रूप से समर्थ प्रबंधन लेखांकन प्रणाली के लिए उत्तरदायी है।
महालेखानियंत्रक कार्यालय केंद्र सरकार के लिए व्यय, राजस्व, ऋणों और विभिन्न राजकोषीय संकेतकों का मासिक और वार्षिक विश्लेषण तैयार करता है।