मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक हर दो महीने में होती है। इस बैठक में अर्थव्यवस्था में सुधार पर चर्चा की जाती है और साथ ही ब्याज दरों का फैसला लिया जाता है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में समिति की बैठक का फैसला चार जून को सामने आएगा।
विशेषज्ञों की राय है कि कोविड-19 से जुड़ी अनिश्चितताओं और महंगाई से जुड़ी आशंकाओं के चलते आरबीआई अपने अहम दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा।
रेपो रेट के 4 फीसदी पर ही बने रहने की संभावना है जबकि रिवर्स रेपो रेट के 3.35 फीसदी पर बरकरार रहने की उम्मीद है।
अप्रैल में हुई पिछली बैठक में रेपो दर को 4 फीसदी था और रिवर्स रेपो दर को 3.35 फीसदी ही बनाए रखा गया था।
कोरोना की दूसरी लहर के चलते अप्रैल और मई के दौरान देश के कई हिस्सों में लगाई गई सख्त पाबंदियों से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है। इसलिए यह बैठक बेहद अहम है।
विशेषज्ञों ने कहा कि पेट्रोल की उच्च कीमतों के कारण महंगाई बढ़ने का जोखिम है। इससे एमपीसी के लिए नीतिगत ब्याज घटाने का निर्णय करना आसान नहीं होगा।
आईसीआरई की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कोरोना काल में आर्थिक गतिविधियों को लेकर कोई स्पष्ट स्थिति नहीं है।
जब तक टीकाकरण प्रक्रिया में कोई बड़ा बदलाव नहीं आता, तब तक हमें वर्ष 2021 में मौद्रिक निति को उदार बनाए रखने की उम्मीद हैं।
उन्होंने कहा कि औसत सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) मुद्रास्फीति के वर्ष 2021-22 के दौरान 5.2 फीसदी रहने का आकलन है जो वित्त वर्ष 2020-21 के में 6.2 फीसदी थी।