मुंबई: वित्तीय संकट से जूझ रही सरकारी विमान कंपनी एयर इंडिया के सामने दो ही विकल्प बचे हैं या तो इसे निजी हाथों में सौंप दिया जाए या बंद कर दिया जाए।
सिविल एविएशन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एयर इंडिया के भविष्य को लेकर मई 2021 के आखिर तक फैसला हो जाएगा।
पुरी के मुताबिक सरकार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए एक नई समय सीमा को लेकर विचार कर रही है और फाइनेंसियल बिड्स मंगाने पर विचार हो रहा है।
एक समारोह में पुरी ने जानकारी दी कि एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया पूरी होने तक इसे चालू रखा जाएगा।
एयर इंडिया को इससे पहले भी प्राइवेट करने की कोशिशें हुई थीं लेकिन पुरी के मुताबिक वह पूरे मन से नहीं किया जा रहा था, इसलिए सफलता नहीं मिली।
इससे पूर्व में एयर इंडिया के निजीकरण को लेकर जो कोशिशें की गई हैं वो पूरी तरह दिल से नहीं थीं। इस बार जरूर हमें खरीदार मिलेगा। एयर इंडिया का असेट बहुत ही शानदार है।
नया मालिक इस बात को बखूबी जानता होगा कि एक एयरलाइन को किस तरह चलाना चाहिए। वह उन गलतियों को नहीं दोहराएगा जो पूर्व में दोहराई गई हैं। वर्तमान में सरकार को इस एयरलाइन को जिंदा रखने के लिए खर्च करने पड़ रहे हैं।
इस पैसे का अभी दुरूपयोग हो रहा है। इससे पूर्व 2018 में सरकार एयर इंडिया में अपनी 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती थी जिसके लिए कोई खरीदार नहीं मिला।
उसके बाद सरकार ने अपनी पूरी हिस्सेदारी और एयर इंडिया की इंटरनेशनल सब्सिडियरी कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस को भी बेचने का फैसला किया। इसके अलावा ग्राउंट हैंडलिंग यूनिट एआईएसएटीएस में भी 50 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है।
फिलहाल टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट की तरफ से इसे खरीदने के लिए बोली लगाई गई है। माना जा रहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में एयरलाइन को कम से कम 10 हजार करोड़ का नुकसान होगा।
एयर इंडिया पर कुल कर्ज घटकर 23 हजार करोड़ रुपए रह गया है। इसके लिए 30 हजार करोड़ के वर्किंग कैपिटल कर्ज को सरकारी अधिकृत स्पेशल पर्पज व्हीकल को शिफ्ट कर दिया है।