कैप टाउन: दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर हुई स्टडी ने राहत दी है।
इसमें जानकारी मिली है कि यहां अक्टूबर और नवंबर के बीच अन्य वेरिएंट का शिकार हुए लोगों की तुलना में ओमिक्रॉन संक्रमितों के अस्पताल में भर्ती होने की संभावनाएं 80 फीसदी कम थी।
साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि कुछ जगहों पर यह वेरिएंट कम संक्रामक भी हो सकता है।
इस बात पर जोर दिया गया है कि स्टडी की प्राप्तियां यह नहीं बताती हैं कि नया वेरिएंट ऑफ कंसर्न कम गंभीर है, लेकिन यह शायद पहले संक्रमण के बाद इम्युनिटी हासिल कर चुकी आबादी में यह कम तीव्र तरीके से सामने आ रहा है।
दक्षिण अफ्रीका के जानकारों की तरफ से किए गए पहले अध्ययन में पाया गया है कि डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन से संक्रमित हुए लोगों में गंभीर बीमारी विकसित करने की संभावना 70 प्रतिशत कम थी।
हालांकि, इसमें यह पाया गया है कि अगर ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है, तो उनके गंभीर रूप से बीमार पड़ने की संभावना उन लोगों से कम नहीं है, जो जारी लहर के दौरान अन्य वेरिएंट से संक्रमित हुए हैं।
दूसरे अध्ययन में दक्षिण अफ्रीका में स्वास्थ्य जानकारों ने कहा कि बीमारी की गंभीरता में कमी की वजह गुतैंग में पहले कोविड-19 के तेज फैलना हो सकती है।
गुतैंग प्रांत में ही ओमिक्रॉन तेजी से पहला और स्टडी में भी इस क्षेत्र का ध्यान रखा गया था।
दोनों अध्ययन में शुरुआती डेटा को शामिल किया गया है। दूसरे अध्ययन में पता चला है कि टीका हासिल नहीं करने वाली कम से कम 68 फीसदी अनुमानित आबादी को ओमिक्रॉन की लहर से पहले भी संक्रमण हुआ था।
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिसीज में सेंटर फॉर रेस्पिरेटरी डिसीजेस एंड मेनिंगाइटिस के वैज्ञानिक कहते हैं कि नतीजों की पकड़ उन क्षेत्रों में ज्यादा है, जहां बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो चुके हैं।
हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि कैसे ओमिक्रॉन देशों पर असर करेगा, जहां टीकाकरण की दर ज्यादा है, लेकिन संक्रमण दर कम है।