नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने मंगलवार को देश की स्कूल शिक्षा के लिए एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई प्लस) 2019-20 रिपोर्ट जारी करने की मंजूरी दी है।
देश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था के संबंध में रिपोर्ट बताती है कि पिछले आठ सालों में सेकेंडरी एजुकेशन में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 10 प्रतिशत और हायर सेकेंडरी स्तर में 11 प्रतिशत तक बढ़ा है।
वहीं 2018-19 के मुकाबले प्री-प्राइमरी और हायर सेकेंडरी में 42.3 लाख अधिक छात्रों ने दाखिला लिया है।
स्कूलों से ऑनलाइन डेटा इकठ्ठा करने के लिए यूडीआईएसई प्लस सिस्टम 2018-19 में शुरू किया गया था ताकि पेपर प्रारूप में मैनुअल डेटा भरने और ब्लॉक या जिला स्तर पर बाद में फीडिंग से संबंधित समस्याओं को दूर किया जा सके, जैसा कि 2012-13 के यूडीआईएसई डाटा कलेक्शन में कहा गया था।
नई प्रणाली से डाटा कैप्चर, डाटा मैपिंग और डाटा सत्यापन से जुड़े क्षेत्रों में सुधार आया है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में प्री-प्राइमरी और हायर सेकेंडरी शिक्षा में कुल 26.45 करोड़ छात्रों ने दाखिला लिया जो कि 2018-19 से 42.3 लाख ज्यादा है।
इसके साथ ही स्कूल शिक्षा में सभी स्तरों पर सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) भी दो प्रतिशत बढ़ा है।
2018-19 के मुकाबले 2019-20 में उच्च प्राथमिक स्तर पर जीईआर 87.7 प्रतिशत से बढ़कर 89.7 प्रतिशत रहा, वहीं एलीमेंट्री लेवल पर 96.1 प्रतिशत से 97.8 प्रतिशत हो गया।
इसके अलावा सेकेंडरी लेवल पर 76.9 प्रतिशत से बढ़ कर 77.9 प्रतिशत हो गया और हायर सेकेंडरी स्तर पर 50.1 प्रतिशत से बढ़ कर 51.4 प्रतिशत हो गया।
वहीं अगर 2012-13 की तुलना में 2019-20 में सेकेंडरी एजुकेशन के स्तर पर सकल नामांकन अनुपात 10 प्रतिशत बढ़ गया। हायर सेकेंडरी स्तर पर यह 11 प्रतिशत तक बढ़ा है।
इसके अलावा 2019-20 में 96.87 लाख शिक्षकों को स्कूल शिक्षा से जोड़ा गया, जो 2018-19 के मुकाबले 2.57 लाख ज्यादा है और छात्र शिक्षक अनुपात में भी सुधार देखा गया है। प्राइमरी स्तर पर यह अनुपात 26.5 दर्ज किया।
वहीं उच्च प्राथमिक एवं सेकेंडरी में यह 18.1 दर्ज किया और हायर सेकेंडरी शिक्षा में यह 26.1 दर्ज किया गया।
2012-13 में प्राइमरी स्तर पर छात्र शिक्षक अनुपात 34 था, वहीं उच्च प्राथमिक एवं सेकेंडरी स्तर पर क्रमशः 23.1 और 29.7 और हायर सेकेंडरी स्तर पर 26.1 था।
इसके अलावा इस रिपोर्ट में छात्राओं के नामांकन में सुधार के अलावा लिंग समानता सूचकांक, स्कूलों में मौजूद सुविधाओं जैसे कि बिजली, कंप्यूटर, इंटरनेट सुविधा, स्वास्थ्य सुविधाएं इत्यादि में हुए सुधार के बारे में भी बताया गया है।