न्यूज़ अरोमा रांची: पूरा देश कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है। भले ही रिकवरी रेट में पहले से सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी रोजाना हजारों लोग मर रहे हैं।
इस बीच झारखंड में ब्लैक फंगस के अबतक चार मरीजों की जान जा चुकी है। शनिवार को रिम्स में एक और मरीज की मौत इससे हो गई।
रिम्स में ब्लैक फंगस से यह दूसरी मौत है। बताया जाता है कि रिम्स में रांची के पीस रोड निवासी राणा गोराई की मौत ब्लैक फंगस के संक्रमण से हो गई। उसे तीन दिन पहले रिम्स में भर्ती कराया गया था।
इससे पहले वह कोरोना संक्रमित था, लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी।
बाद में तबीयत बिगड़ने पर उसने मेडिका में जांच कराई, जिसमें ब्लैक फंगस के संक्रमण की पुष्टि हुई। इसके बाद उसे रिम्स में भर्ती कराया गया था। इस दौरान उसकी एक आंख की रोशनी चली गई थी।
रिम्स क्रिटिकल केयर के इंचार्ज ने बताया कि ब्लैक फंगस से रिम्स में यह दूसरी मौत है।
वहीं, रिम्स के पीआरओ डा. डीके सिंह ने बताया कि शुक्रवार तक ब्लैक फंगस के चार मरीज भर्ती थे। वहीं, मेडिका में पांच मरीज भर्ती हैं। रांची के मेडिका तथा धनबाद के एक अस्पताल में भी एक एक मरीजों की मौत पहले हो चुकी है।
मेडिका की विशेषज्ञ चिकित्सक डा. अनिदया अनुराधा के अनुसार, वैसे लोगों में यह समस्या आ रही है जो हाल ही में कोविड संक्रमण से मुक्त हुए हैं और जिनका सुगर लेवल काफी अधिक है। स्टेरॉयड के अधिक सेवन के कारण भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।
स्टेरॉयड को लेकर किया गया आगाह
क्लीनिक के एमडी विंसेंट राजकुमार ने इलाज में इस्तेमाल हो रहे स्टेरॉयड को लेकर आगाह किया है। अपने ट्विटर हैंडल पर वे लगातार स्टेरॉयड के इस्तेमाल पर जानकारी दे रहे हैं।
विंसेंट राजकुमार ने अपने एक पोस्ट में लिखा, ‘भारत में कई ऐसे संक्रमित युवाओं की भी मौत हो रही है जिन्हें आसानी से रिकवर हो जाना चाहिए। मैं भारतीय डॉक्टर्स से ये आग्रह करता हूं कि इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल कम कर दें। स्टेरॉयड सिर्फ हाइपोक्सिक मरीजों के लिए ही फायदेमंद है। इसे शुरुआती स्टेज पर देना खतरनाक हो सकता है।’
स्टेरॉयड के इस्तेमाल से रोगियों के इम्यून सिस्टम पर दबाव बढ़ जाता है और वायरस ज्यादा तीव्रता से शरीर में फैल जाता
अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘संक्रमण के पहले सप्ताह वायरस शरीर में विभाजित हो रहा होता है। ऐसे में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से रोगियों के इम्यून सिस्टम पर दबाव बढ़ जाता है और वायरस ज्यादा तीव्रता से शरीर में फैल जाता है।
स्टेरॉयड कोई एंटीवायरल ड्रग नहीं हैं।’ उन्होंने बताया कि रिकवरी के दौरान ऐसे लोगों की मौतें ज्यादा देखी गई हैं जो हाइपोक्सिक नहीं थे।
विंसेंट राजकुमार ने लिखा, ‘कोरोना संक्रमितों में हाइपोक्सिया मरीज के फेफड़ों में इंफेक्शन होने का संकेत देता है।
शुरुआती स्टेज पर हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम इससे होने वाली क्षति को नियंत्रित कर सकता है।
केवल हाइपोक्सिया में ही किसी मरीज को कम मात्रा में स्टेरॉयड के डोज दिए जा सकते हैं।’ उन्होंने बताया कि रिकवरी पीरियड में ज्यादा से ज्यादा 5 दिन तक डेक्सामैथासोन 6mg मरीज को दिया जा सकता है।
कोरोना संक्रमितों में हाइपोक्सिया मरीज के फेफड़ों में इंफेक्शन होने का संकेत देता है
विंसेंट राजकुमार ने लिखा, ‘कोरोना संक्रमितों में हाइपोक्सिया मरीज के फेफड़ों में इंफेक्शन होने का संकेत देता है। शुरुआती स्टेज पर हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम इससे होने वाली क्षति को नियंत्रित कर सकता है।
केवल हाइपोक्सिया में ही किसी मरीज को कम मात्रा में स्टेरॉयड के डोज दिए जा सकते हैं।’ उन्होंने बताया कि रिकवरी पीरियड में ज्यादा से ज्यादा 5 दिन तक डेक्सामैथासोन 6mg मरीज को दिया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि स्टेरॉयड के बहुत ज्यादा इस्तेमाल से मांसपेशियां कमजोर पड़ सकती हैं और ब्लड शुगर अनियंत्रित हो सकता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए ये बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
रोगियों को कई अन्य प्रकार की दिक्कतें भी झेलनी पड़ सकती हैं।विंसेंट राजकुमार ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘भारत की ऐसी स्थिति अत्याधिक संक्रामक वायरस की चपेट में आने से हो सकती है या फिर ये हेल्थ केयर सिस्टम की नाकामी भी हो सकती है।
ये स्थिति हमारे तत्काल नियंत्रण में नहीं है, लेकिन हम इसे कंट्रोल कर सकते हैं।’ उन्होंने लिखा कि स्टेरॉयड का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही करें। इसके सही समय और अवधि का भी पूरा ख्याल रखें।
इसकी कम डोज किसी इंसान की जिंदगी बचा सकती है
विंसेंट राजकुमार ने ट्वीट में आगे लिखा, ‘मैंने अपना करियर डेक्सामेथासोन पर ही बनाया है।
इसकी कम डोज किसी इंसान की जिंदगी बचा सकती है, लेकिन ये एक दो धारी तलवार जैसी ही है। अगर आप बिना जांच या देखभाल के इसका प्रयोग करेंगे तो इसके बहुत बुरे परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।’
लेकिन लोगों को ये नहीं मालूम
नई दिल्ली स्थित एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का भी कुछ ऐसा ही कहना है। उन्होंने आज तक को बताया था कि स्टेरॉयड के ओवरडोज से मरीज को नुकसान हो सकता है।
खासतौर से जब इनका इस्तेमाल बीमारी के शुरुआती स्टेज में किया जाता है। इससे फेफड़ों पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
उन्होंने कोविड इंफेक्शन के दौरान दवाओं के दुरुपयोग को लेकर सख्त चेतावनी दी थी। डॉ. गुलेरिया ने कहा था कि लोगों को लगता है कि रेमेडिसविर और तमाम तरह के स्टेरॉयड मदद करेंगे।
लेकिन लोगों को ये नहीं मालूम कि इनकी जरूरत हमेशा नहीं पड़ती है। इस तरह की दवाएं या स्टेरॉयड सिर्फ डॉक्टर्स की सलाह पर ही दिया जा सकता हैं।’