नई दिल्ली: किलो क्लास की पनडुब्बी के बारे में जानकारी लीक करने के मामले में सीबीआई ने भारतीय नौसेना के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है।
इनमें एक सेवारत और दो रिटायर्ड अधिकारी हैं। पिछले तीन दिनों के भीतर सशस्त्र बलों में पकड़ा गया जासूसी का यह तीसरा मामला है।
भारतीय नौसेना ने इस जासूसी मामले की उच्च स्तरीय जांच करने के लिए वाइस एडमिरल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय टीम गठित की है, जिसमें एक रियर एडमिरल को भी रखा गया है।
जांच के दायरे में नौसेना के कई जवान भी आये, अभी कई और हो सकती हैं गिरफ्तारियां
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नौसेना में कमांडर (सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल समकक्ष) रैंक के एक सेवारत अधिकारी को गिरफ्तार किया। वह किलो-क्लास की पनडुब्बी आधुनिकीकरण परियोजना में मुंबई में तैनात है।
उन्होंने नौसेना के दो सेवानिवृत्त अधिकारियों को इस परियोजना के बारे में गोपनीय जानकारी दी। इसलिए सीबीआई ने अनधिकृत जानकारी लीक करने के संबंध में नौसेना के दोनों सेवानिवृत्त लोगों के साथ सेवारत कमांडर को गिरफ्तार किया है।
पिछले महीने हुए इस घटनाक्रम के बाद भारतीय नौसेना ने इस मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया है।
जांच कमेटी में एक वाइस एडमिरल और रियर एडमिरल को रखा गया है, जो भविष्य में ऐसी किसी भी घटना को रोकने के तरीकों की भी तलाश करेंगे।
रक्षा सूत्रों ने कहा कि सीबीआई ने इस मामले में कई अन्य सेवारत अधिकारियों से भी पूछताछ की है, जो गिरफ्तार अधिकारियों के संपर्क में थे। भारतीय नौसेना केंद्रीय एजेंसी को जांच में सहयोग कर रही है।
नौसेना के शीर्ष अधिकारियों के संज्ञान में यह मामला आते ही वाइस एडमिरल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया है, जिसमें एक रियर एडमिरल को भी रखा गया है।
जांच समिति को इस मामले की जांच करने के साथ ही भविष्य में ऐसी किसी भी घटना को रोकने के तरीकों की तलाश करने और उपाय सुझाने के निर्देश दिए गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि नौसेना की टीम ने सीबीआई के समानांतर जांच शुरू कर दी है। जांच के दायरे में नौसेना के कई जवान भी आये हैं, इसलिए उनसे भी पूछताछ की गई है।
जांच एजेंसियों को इस मामले में कुछ और इनपुट मिले हैं, जिसकी वजह से तीनों सेनाओं के बड़ी संख्या में पूर्व सैनिकों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। इसलिए इस जासूसी मामले में कई और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा की देखभाल करने वाली एजेंसियों सहित सरकार की शीर्ष अधिकारियों को भी जांच की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है।
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी गिरफ्तार अधिकारियों से एक्सेस किए गए हार्डवेयर और तारीख की भी जांच कर रही है, जिससे लीक की गई जानकारी बाहरी एजेंसियों के पास जाने की आशंका है।
हाल के दिनों में ‘जासूसी’ के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें पाकिस्तानी एजेंसियों को सूचना लीक करने के लिए रक्षा कर्मियों को पकड़ा गया है।