नई दिल्ली: मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Hindustan Zinc Limited) (एचजेडएल) में सरकार की शेष 29.58 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचने की मंजूरी दे दी है।
इस बिक्री से सरकार को करीब 38,000 करोड़ रुपए प्राप्त हो सकते हैं। जानकारी के मुताबिक सीसीईए ने हिंदुस्तान जिंक में सरकार की हिस्सेदारी बिक्री को मंजूरी दे दी है।
इस कदम से सरकार को चालू वित्त वर्ष में अपने विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश और रणनीतिक बिक्री से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
सरकार चालू वित्त वर्ष में पहले ही जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में अपनी 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 20,500 करोड़ रुपए जुटा चुकी है।
तीन में से दो बोलीदाताओं के पीछे हटने के बाद भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) का निजीकरण रुक गया है। इसके बाद सरकार ने हिंदुस्तान जिंक के निजीकरण का फैसला किया है।
लेनदेन में सरकार को 769 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे
इसके अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) के निजीकरण में भी प्रक्रियागत विलंब हो रहा है। 29.58 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के तहत 124.96 करोड़ शेयर बेचे जाएंगे।
इससे मौजूदा मूल्य पर सरकार को 38,000 करोड़ रुपए मिल सकते हैं। बीएसई में हिंदुस्तान जिंक का शेयर बुधवार को 3.14 प्रतिशत चढ़कर 305.05 रुपए पर बंद हुआ।
दिन में कारोबार के दौरान यह 317.30 रुपए के उच्चस्तर तक गया था। सरकार ने 2002 में हिंदुस्तान जिंक में अपनी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाले वेदांता समूह की स्टरलाइट को 40.5 रुपए प्रति शेयर के मूल्य पर बेची थी।
एक साल बाद समूह ने सरकार से कंपनी की 18.92 प्रतिशत और हिस्सेदारी का अधिग्रहण की थी। इन दो लेनदेन में सरकार को 769 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे।