नई दिल्ली: Diwali and other festivals (दीवाली एवं अन्य त्यौहारों) के मौके पर नौ दिन की छुट्टी के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सोमवार को खुला।
वहीं नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से CAA के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज करने की मांग की।
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने हलफनामे में कोर्ट को बताया कि साल 2019 में पेश किया गया नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) किसी भी भारतीय नागरिक के कानूनी, लोकतांत्रिक या धर्मनिरपेक्ष अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है।
मोदी सरकार (Modi government) ने शीर्ष अदालत से कहा है कि किसी भी देश के नागरिकों द्वारा भारत की नागरिकता प्राप्त करने की मौजूदा व्यवस्था सीएए से अछूती बनी हुई है और वैध दस्तावेजों और वीजा के आधार पर कानूनी प्रवासन सहित दुनिया के सभी देशों से इजाजत है।
सरकार ने याचिकाकर्ताओं पर भी सवाल उठाया है। केंद्र ने याचिकाकर्ताओं पर सवाल उठाकर हलफनामे में कहा कि इमिग्रेशन पॉलिसी, नागरिकता और अप्रवासियों को देश से बाहर करने से संबंधित मामले संसद के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, जनहित याचिकाओं के माध्यम से इनपर सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट करीब 240 जनहित याचिकाओं की सुनवाई करेगा
मोदी सरकार ने हलफनामे में कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम की धारा 2 (1) (बी) में एक नया प्रावधान जोड़ा गया है। इसके अनुसार, अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदायों से संबंधित व्यक्ति, और जिन्हें केंद्र सरकार (Central government) द्वारा पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 के तहत छूट दी गई है।
इन्हें विदेशी अधिनियम, 1946, के तहत ‘अवैध प्रवासी’ नहीं माना जाएगा और, इसतरह के व्यक्ति 1955 के अधिनियम के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं सहित करीब 240 जनहित याचिकाओं की सुनवाई करेगा।
CJI उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम.त्रिवेदी की पीठ के समक्ष केवल CAA के मुद्दे पर 31 अक्टूबर को 232 याचिकाएं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जिनमें ज्यादातर जनहित याचिकाएं हैं।