नई दिल्ली : समलैंगिकों द्वारा साथी के चुनाव के मौलिक अधिकार को लागू करने के लिए दायर की गई याचिकाओं पर गुरुवार को केंद्र ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा है कि वह आज ही इस पर अपना जवाब दाखिल करेगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस राजीव सहाय एंडला और अमित बंसल की पीठ के समक्ष कहा, हमने एक उत्तर तैयार किया है और हम इसे आज ही दाखिल कर देंगे। अभी इसकी पुष्टि की जा रही है।
कोर्ट ने पूछा कि क्या आपका जबाव सभी याचिकाकर्ताओं के लिए एक ही होगा। इस पर मेहता ने कहा, मुझे लगता है कि सबका मुद्दा एक ही है।
एक जोड़े ने कोर्ट से यह निर्देश देने की मांग की है कि विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत सभी जोड़ों को आवेदन करने की अनुमति होनी चाहिए, भले ही उनकी लैंगिक पहचान कुछ भी हो।
वहीं एक अन्य जोड़े ने भी याचिका लगाई है।
इसमें एक साथ भारतीय नागरिक है और दूसरा भारत का प्रवासी नागरिक है। इन दोनों ने 2017 में अमेरिका वाशिंगटन डीसी में विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 के तहत शादी की।
लेकिन यह भारत के संविधान में समलैंगिकों के साथ भेदभाव करते हुए कानूनी मान्यता नहीं देता है।
वकील अरुंधति काटजू, गोविंद मनोहरन, सुरभि धर द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी द्वारा जिरह के दौरान तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता चाहते हैं कि अन्य जोड़ों का भी रिश्ता समाज और कानून द्वारा मान्य किया जाए।
क्योंकि विवाह एक कानूनी सुरक्षा, सामाजिक मान्यता, सपोर्ट और सुरक्षा देता है, जो कि कोविड-19 महामारी के इस समय में और भी महत्वपूर्ण है।