नई दिल्ली: सरकार चाइल्डलाइन (Childline) 1098 का अधिग्रहण कर गृहमंत्रालय के इमरजेंसी रिस्पॉन्स नंबर (Emergency Response Number) 112 के साथ एकीकृत करने जा रही है।
केंद्र सरकार “वन नेशन वन हेल्पलाइन” (“One Nation One Helpline”) के तर्ज पर काम करने के लिए इसका इस्तेमाल करेगी।
केंद्र सरकार का दावा है कि चाइल्डलाइन के टेक ओवर के बाद संकट में फंसे बच्चों के लिए रिलीफ और रिस्पॉन्स टाइम (Relief and Response Time) घट जाएगा।
दरअसल बच्चों के हितों की रक्षा और आपदाग्रस्त (Defense and Disaster) बच्चों के बचाव का काम करने वाली गैर सरकारी संगठन (NGO) चाइल्डलाइन हेल्पलाइन को भारत सरकार टेक ओवर कर रही है।
चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (Childline India Foundation) बच्चों के राहत और बचाव के लिए काम करने वाली देश की सबसे बड़ा एनजीओ है जो देशभर में करीब 1000 से अधिक NGO पार्टनर के साथ बच्चों को त्वरित मदद पहुंचाने का काम करता है।
30 जून तक टेकओवर करने का प्लान
अब भारत सरकार Childline Helpline 1098 को 30 जून तक टेक ओवर करके गृह मंत्रालय की आपातकालीन हेल्पलाइन (ERSS -112) के साथ एकीकृत करने जा रही है।
चाइल्डलाइन की सेवा “1098” वर्ष 1995 में शुरू की गई थी जिसे पूरे देश में लगभग 1000 से ज्यादा एनजीओ द्वारा संचालित किया जा रहा था। भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) चाइल्डलाइन को हरेक साल 140 करोड़ रुपए का ग्रांट देती रही है।
देश के 568 जिलों में हेल्पलाइन केंद्र चलाने का दावा
NGO के अधिग्रहण और ERSS 112 के साथ एकीकरण के बाद 1098 हेल्पलाइन नंबर (Helpline Number) स्थानीय जिला प्रशासन और पुलिस के माध्यम से संचालित किया जाएगा।
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक चाइल्डलाइन हेल्पलाइन (Childline Helpline) देश के 568 जिलों में हेल्पलाइन केंद्र चलाने का दावा कर रहा था जबकि मंत्रालय द्वारा जांच के बाद पता चला कि 200 जिलों में वो कोई काम नहीं कर रहे थे।
रिस्पॉन्स टाइम लगभग 60 मिनट
चाइल्डलाइन 1098 चलाने वाली संस्था चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (Childline India Foundation) अपने 1000 से अधिक NGO इकाइयों के नेटवर्क के माध्यम से 568 जिलों, 135 रेलवे स्टेशनों और 11 बस स्टैंडों में चाइल्डलाइन सेवाएं (Childline Services) चला रहा है।
सामान्य तौर पर संकट में फंसे बच्चों के बचाव के लिए 1098 पर Call का रिस्पॉन्स टाइम लगभग 60 मिनट है।
केंद्र सरकार का मानना है कि अंततः चाइल्डलाइन के लोग भी स्थानीय पुलिस और प्रशासन की मदद से ही बच्चों की सहायता कर पाते हैं। फिर क्यों ना एक ऐसा सिस्टम ही बना दिया जाय, जिससे रिस्पॉन्स टाइम (Response Time) कम से कम हो।
राज्य सरकारों के साथ गृह मंत्रालय का चर्चा
इस मुद्दे पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) ने गृह मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ पहले ही चर्चा कर लिया है और सभी हितधारक मंत्रालय और राज्य सरकारें इस नई व्यवस्था प्रणाली को लागू करने के लिए सहमत भी हो चुके हैं।
30 जून के बाद पहले चरण में 10 राज्यों में ये नई प्रणाली शुरू की जाएगी।
ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, गुजरात, गोवा, लद्दाख, मिजोरम और पुडुचेरी हैं।
जबकि 14 दूसरे राज्य इस नई व्यवस्था प्रणाली (Management System) को जुलाई के अंत तक लागू करेंगे और अगले तीन महीने के भीतर ये व्यवस्था समूचे देश में लागू हो जायेगा।