नई दिल्ली: आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर को कोर्ट से शुक्रवार को जमानत मिल गई है।
आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत में चंदा कोचर पेश हुईं थी, जहां कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है।
हालांकि, कोर्ट से मंजूरी लिए बिना देश छोड़ने की इजाजत चंदा कोचर को नहीं मिली है।
धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत ने 30 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बाद चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर, वीडियोकॉन समूह के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत और मामले के अन्य आरोपियों को तलब किया था।
चंदा कोचर ने विशेष न्यायाधीश ए ए नांदगांवकर के समक्ष अपने वकील विजय अग्रवाल के माध्यम से जमानत याचिका दायर की।
अदालत ने ईडी से उसकी जमानत अर्जी पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
ईडी का आरोप है कि चंदा की अध्यक्षता वाली आईसीआईसीआई बैंक की समिति ने वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को 300 करोड़ रुपये के कर्ज की मंजूरी दी, और कर्ज जारी करने के अगले दिन वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज ने आठ सितंबर 2009 को 64 करोड़ रुपये न्यूपॉवर रिन्यूएबल प्राइवेट लिमिटेड (एनआरपीएल) को हस्तांतरित किए।
एनआरपीएल के मालिक दीपक कोचर हैं।
पिछली सुनवाई में नंदगांवकर ने कहा था कि पीएमएलए के तहत उपलब्ध सामग्री, लिखित शिकायतों और दर्ज बयानों को देखकर ऐसा जान पड़ता है, कि चंदा कोचर ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए आरोपी धूत और/वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को कर्ज दिए।
न्यायाधीश ने कहा, और ऐसा जान पड़ता है कि उन्होंने अपने पति के जरिये रिश्वत/अनुचित लाभ उठाया।
अदालत ने कहा कि ईडी ने जो सामग्री उपलब्ध करायी है, वह आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला चलाने के लिये पर्याप्त है।