Chandipura virus: चांदीपुरा वायरस के बढ़ते मामलों ने देश में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। अब तक, इस वायरस(Chandipura virus) ने देश के 4 राज्यों में पैर पसार लिए हैं, जिससे फेफड़े और दिमाग संक्रमित हो रहे हैं और कई मामलों में मौतें भी हो रही हैं। चांदीपुरा वायरस से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV), पुणे को एलर्ट पर रखा गया है। इस बीमारी में मृत्यु दर 50 प्रतिशत तक है।
Chandipura virus की चपेट में ये राज्य
गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश में चांदीपुरा वायरस के मामले सामने आए हैं। सभी बच्चों के खून के नमूने पुणे की राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान भेजे गए हैं। गुजरात के साबरकांठा, अरवल्ली, महिसागर और राजकोट में इसके मामले पाए गए हैं। गुजरात स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, जहां चांदीपुरा वायरस का फैलाव देखा गया है, वहां अब तक 8600 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है और इलाके को 26 जोन में बांटा गया है।
क्या है चांदीपुरा वायरस?
चांदीपुरा वायरस रबडोविरिडे परिवार का एक आरएनए वायरस है, जो बच्चों में दिमागी बुखार (एन्सेफलाइटिस) का कारण बनता है। 1966 में महाराष्ट्र के नागपुर के चांदीपुरा गांव में 15 साल तक के बच्चों की मौतें हुईं, जिसके पीछे इस वायरस का हाथ था।
कितना खतरनाक है यह वायरस?
चांदीपुरा वायरस से संक्रमित बच्चा बहुत जल्दी कोमा में चला जाता है। यह वायरस रैबडोविरिडे परिवार के वेसिकुलोवायरस जीनस का सदस्य है और मच्छरों, टिक्स और सैंडफ़्लाइज़ के माध्यम से फैलता है। इससे संक्रमित बच्चों में फ्लू जैसे लक्षण, उल्टी, डायरिया और बदन दर्द होता है, जिससे वे तेजी से कोमा में चले जाते हैं।
चांदीपुरा वायरस(Chandipura virus) का नाम कैसे पड़ा?
1966 में पहली बार महाराष्ट्र के नागपुर के चांदीपुरा में इस वायरस की पहचान हुई थी, इसलिए इसे चांदीपुरा वायरस कहा गया।
चांदीपुरा वायरस के लक्षण
इस वायरस से पीड़ित व्यक्ति को सबसे पहले बुखार आता है और इसमें फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। आगे चलकर मरीज को ऑटोइम्यून एन्सेफलाइटिस यानी दिमाग में सूजन जैसी गंभीर समस्या हो सकती है। इसलिए शुरुआती दौर में लक्षण पहचानकर इलाज करवाना बेहद जरूरी है।