नई दिल्ली: टायर स्लिप होने या गरम होकर फटने की वजह से होने वाले सड़क हादसों को कम के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय टायरों की डिजाइन में परिवर्तन कराने जा रहा है।
इससे लिए टायर के परफार्मेंस के मानक तय कर दिए गए हैं, अब इसी मानक के अनुसार बाजार में टायर उपलब्ध होंगे। नया नियम केवल कारों के टायर के लिए हैं।
औसतन प्रतिवर्ष कार व अन्य एलएमवी वाहनों से 25000 सड़क हादसे होते हैं। इसमें बड़ी संख्या में स्लिप होने या टायर फटने वाले हादसे भी होते हैं।
इन्हें रोकने के क्रम में 1 अक्तूबर 2021 से टायर के लिए नए मानक अनिवार्य किए जाएंगे। वाहन निर्माता कंपनियां नए वाहनों में इन्हीं टायरों का इस्तेमाल करेंगी।
सड़क परिवहन मंत्रालय के रोड सेफ्टी विंग के अधिकारी के अनुसार कई सड़क हादसे वाहनों के स्लिप होने की वजह से होते हैं, तो कुछ चलते वाहन में टायरों के फटने से होते हैं।
इस तरह के सड़क हादसों को कम करने के लिए मंत्रालय ने टायरों के परफॉर्मेंस मानक तय कर दिए हैं, जिसके बाद टायरों को उन्हीं मानकों के अनुसार बनाना अनिवार्य होगा।
मौजूदा समय टायर आईएसआई मार्का होते हैं, यानी उसमें प्रयोग होने वाले मैटेरियल और साइज का मानक तय है, लेकिन परफॉर्मेंस का मानक अभी तय नहीं होता है।
अब टायर कितने हजार किमी चलेगा, रोड पर उसकी ग्रिप क्या होगी, किस स्टैंडर्ड का स्टील प्रयोग किया जाएगा आदि सभी कुछ मानकों में शामिल है। नए नियम अक्तूबर 2021 से लागू हो जाएंगे।
यानी इस डेट के बाद कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले वाहनों पर यही टायर लगकर आएंगे और बाजार में भी इसी मानक के अनुसार टायर बिकेंगे।
इस संबंध में बस एंड कार ऑपरेटर्स कंफेडेरशन ऑफ इंडिया (सीएमवीआर) के चेयरमैन गुरुमीत सिंह तनेजा का कहना है कि नया नियम केवल कारों के लिए बनाया गया है।
मेरा सुझाव है कि बसों और ट्रकों के लिए भी टायरों में इसी तरह का मानक अनिवार्य कर देना चाहिए।
टोयोटा कंपनी के मार्केटिंग और सेल्स के वाइस प्रेसीडेंट नवीन सोनी बताते हैं कि सेफ्टी के लिए मंत्रालय द्वारा टायरों में जो भी बदलाव संभावित हैं, देश की ज्यादातर टायर कंपनियां उन बदलावों को करने में सक्षम हैं।