Chhath Puja: सूर्य उपासना संबंधी लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाय-खाय अनुष्ठान (Nahay-Khay ritual) के साथ शुरू हो गया। 17 नवंबर से शुरु यह पर्व चार दिनों तक चलेगा। छठ के पहले दिन अमृत योग और रवि योग बन रहे हैं।
इस पर्व के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य के साथ इस त्योहार का समापन होगा।
इस पर्व संबंधी षष्ठी तिथि 18 नवंबर को सुबह 09 बजकर 18 मिनट से प्रारंभ होगा जो 19 नवंबर की सुबह 07 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगा।
खरना छठ पूजा (Chhath Puja) का दूसरा दिन होता है।
इस दिन सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 46 मिनट और सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 26 मिनट है। हालांकि अलग-अलग स्थानों में सूर्यास्त व सूर्योदय का समय भिन्न हो सकता है।
तीसरे दिन छठ पूजा की संध्या को सूर्य अर्घ्य (स्वागत समर्पण) दिया जाता है। इस दिन व्रती घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। संध्या अर्घ्य हमेशा सूर्यास्त के समय दिया जाता है।
छठ पूजा व्रत का पारण 20 नवंबर को किया जाएगा
छठ पूजा के दिन यानी 19 नवंबर को संध्या अर्घ्य का समय शाम 05 बजकर 25 मिनट है। इस दिन सूर्योदय समय सूर्य को अर्घ्य देने का समय सुबह 06 बजकर 46 मिनट है।
जबकि छठ पूजा (Chhath Puja) का चौथा दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने और व्रत पारण का होता है। इस साल छठ पूजा व्रत का पारण 20 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर होने वाले सूर्योदय के साथ ही अर्घ्य दिया जाएगा।
इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 26 मिनट है गौरतलब है कि इस दिन षष्ठी माता और सूर्य देव की पूजा का विधान है। इसलिए इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी पुकारा गया है ।
इस पर्व पर भगवान सूर्य व छठी माता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। छठ व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है। मान्यता है कि छठ व्रत करने से संतान की प्राप्ति, संतान की कुशलता, सुख-समृद्धि व लंबी आयु प्राप्त होती है।