नयी दिल्ली: चीफ जस्टिस एन वी रमना ने गुरुवार को कहा कि वह कानून की पढ़ाई में महिला आरक्षण का जोरदार समर्थन करते हैं क्योंकि बराबरी वाले समाज का सपना तभी पूरा होगा जब सभी पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाओं को निर्णय लेने की आजादी हो।
अंतर्राष्ट्रीय महिला जज दिवस पर दिये अपने संबोधन में चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या कम होने की कई वजहें हैं लेकिन इस मुख्य वजह हमारे समाज की पितृसत्तात्मकता है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अभी चार महिला जज हैं। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट में इतनी संख्या में महिला जज हैं।
भविष्य में हम जल्द ही देश की पहली चीफ जस्टिस को देखेंगे। लेकिन फिर भी मेरा मानना है कि न्यायपालिका में महिलाओं की 50 फीसदी भागीदारी से हम अभी काफी दूर हैं।
चीफ जस्टिस ने कानून की पढ़ाई में महिला आरक्षण का समर्थन करते हुये कहा कि आंकड़े ये साबित करते हैं कि इस प्रकार के प्रावधान से जिला स्तर पर महिला न्याय अधिकारियों की नियुक्ति में उत्साहजनक परिणाम मिला है।
उन्होंने कहा कि हर महिला का संघर्ष और अनुभव अपने लिये अनोखा है। अनुभवों में विविधता से ही मतों में विभिन्नता आयेगी।