न्यूज़ अरोमा रांची: रांची और उसके आसपास की पहाड़ियों का अतिक्रमण रोकने और हरियालीकरण तथा हरमू नदी तथा स्वर्णरेखा नदी के उद्गम स्थल से लेकर उसके तटीय इलाकों में वृहत पैमाने पर पर वृक्षारोपण करने की दिशा में कार्य योजना बनाई जाए।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को यह निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री ने शहरी क्षेत्रों खासकर राजधानी रांची में मध्यम आकार के पौधों को लगाने की दिशा में कदम उठाने को कहा।
इस मौके पर विभागीय अधिकारियों ने वनों के संरक्षण और जंगलों के कटाव को रोकने समय अन्य क्षेत्रों में चलाए जा रहे कार्यक्रमों की अद्यतन जानकारी से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।
वन रोपण को बढ़ावा मिले
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन क्षेत्रों के विस्तार के लिए जंगल के साथ गैर वन क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर पेड़ लगाए जाएं।
जहां ओपन जंगल है उसे मॉडरेट जंगल और मॉडरेट वन क्षेत्र को सघन वन क्षेत्र बनाने के लिए कार्य योजना तैयार की जाए।
देवघर, पाकुड़, दुमका और धनबाद जैसे जिलों में सघन वन क्षेत्र को बढ़ाने की दिशा में विभाग पहल करें।
नर्सरी की संख्या बढ़ाई जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में नर्सरी की संख्या बढ़ाने की दिशा में विभाग काम करें। वर्तमान में वन विभाग द्वारा 108 नर्सरियों का संचालन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने हर प्रखंड में एक नर्सरी विकसित करने को कहा।
यह नर्सरी कम से कम 5 एकड़ जमीन में हो। इन नर्सरियों मैं वैसे पौधों की व्यवस्था हो, जो किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
इस मौके पर विभाग द्वारा बताया गया कि उनकी नर्सरियों में 5 रुपए में विभिन्न प्रजातियों के फलदार पौधे उपलब्ध है ऐसे में मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को यह जानकारी मिले इसके लिए इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए ताकि लोग यहां अपनी जरूरत के हिसाब से पेड़ और पौधे लेने के लिए आ सके।
वनोपज को भी बढ़ावा देने की पहल हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां जनजातीय आबादी आज भी वनोपज के जरिए जीविकोपार्जन करती है।
अतः वनोपज को बढ़ावा देने की दिशा में भी विभाग पहल करे।
इसके तहत बैर ,कुसुम ,पलाश जैसे पेड़ लगाए जाएं इससे लाह उत्पादन को बढ़ावा में मदद मिलेगी।
उन्होंने इसकी जिम्मेवारी महिला समूह को देने को कहा ।
सड़कों के किनारे छायादार और फलदार पेड़ लगाए जाएं
मुख्यमंत्री ने सड़कों के किनारे छायादार और फलदार पेड़ लगाने पर भी विशेष जोर दिया ।
उन्होंने कहा कि सड़कों के किनारे कौन से पेड़ लगाना ज्यादा उपयोगी है , इसकी सूची तैयार की जाए ।
वनों का सीमांकन किया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज वन क्षेत्रों का अतिक्रमण तेजी से हो रहा है । ऐसे में वन क्षेत्र की जियो मैपिंग कराकर उसका सीमांकन के साथ घेराबंदी की जाए।
पर्यटन के क्षेत्र में भी विभाग कार्य योजना बनाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के वन क्षेत्रों में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं ।
ऐसे में विभाग संभावना वाले वन क्षेत्रों को पर्यटन के लिए विकसित करने की दिशा में ब्लू प्रिंट तैयार करे ।
उन्होंने कहा कि पर्यटन संभावित क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को गाइड के रूप में रखे ।रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा ।
इन योजनाओं का प्रस्ताव तैयार किया गया है
●दामोदर,स्वर्णरेखा, गरगा , जुमार और कोनार समेत 11 नदियों के उद्गम स्थल से लेकर उसके तटीय इलाकों बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण की योजना तैयार की गई है। इससे नदियों में प्रदूषण कम करने के साथ-साथ मिट्टी में कटाव को रोका जा सकेगा।
●राज्य के सभी प्रमंडल में बायोडायवर्सिटी पार्क निर्माण की योजना बनाई गई है। रांची के आसपास के पहाड़ियों का हरियालीकरण किया जाएगा।
●राज्य वन्य प्राणी आश्रयणी और नेशनल पार्क के चारों ओर 9 इको सेंसेटिव जोन बनाने की योजना भी तैयार की गई है।
●स्कूल नर्सरी योजना के तहत हर जिले के एक या दो स्कूलों में 1000 पौधे हर वर्ष लगाने की योजना भी तैयार की गई है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
●राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 33.82 प्रतिशत वन है। अलग राज्य बनने के बाद 1625 वर्ग किलोमीटर में वनों का विस्तार हुआ है।
●वन क्षेत्र के अंतर्गत 81.42 प्रतिशत प्रोटेक्टेड फारेस्ट और 18. 58 प्रतिशत में रिज़र्व फारेस्ट है।
●वन विभाग द्वारा वर्ष 2020 -21 में 106 लाख मानव दिवस सृजित किया गया है।
●वर्ष 2020 -21 में 204 लाख पौधे लगाए जाने की दिशा में पहल की जा रही है।
●मुख्यमंत्री जन वन योजना के तहत निजी जमीन पर 75% अनुदान पर फलदार वृक्ष लगाए जाते हैं। इस वित्त वर्ष अब तक एक हजार एकड़ जमीन में फलदार वृक्ष लगाए जा रहे हैं।
मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त केके खंडेलवाल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव ए पी सिंह, पी सी सी एफ पीके वर्मा, पीसीसीएफ एके रस्तोगी, एपीसीसीएफ डीके तेवतिया,एपीसीसीएफ एस श्रीवास्तव, एपीसीसीएफ एनके सिंह और विशेष सचिव श्रीमती शैलजा सिंह समीक्षा बैठक में उपस्थित थीं।