रांची: झारखंड विधान सभा के बजट सत्र के तीसरे दिन बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि एससी-एसटी को बैंकों का सपोर्ट नहीं मिलना दुखद है। इस पर वह जल्द निर्णय करेंगे। हेमंत सोरेन विधानसभा में विधायक दीपक बिरुआ के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि एससी-एसटी की आबादी झारखंड में लगभग 50 प्रतिशत है लेकिन इन्हें बैंकों का सपोर्ट नहीं मिल रहा है। यह दुखद है। सरकार इसपर जल्द निर्णय करेगी। मुख्यमंत्री ने इस मामले में मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि जल्द समाधान निकालें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार लगातार यह प्रयास कर रही है कि कैसे इस समुदाय के अधिक से अधिक लोगों को बैंक ऋण मिले। कल भी कुछ बैंकों के लोग मिले थे सबको इस विषय में गंभीरता विचार करने के लिए कहा गया है।
इससे पहले ध्यानाकर्षण के दौरान झामुमो विधायक दीपक विरूवा ने अनुसूचित जनजाति-अनुसूचित जाति के सरकारी कर्मियों को गृह लोन देने का मुद्दा उठाया।
विधायक ने कहा कि इस वर्ग के कर्मियों को केवल पांच साल तक लोन देने का प्रावधान है, जबकि अन्य वर्ग के सरकारी कर्मियों को दो वर्गों में 30 और 15 लाख तक का लोन पूरे 20 वर्षो तक देने का प्रावधान है।
इस पर मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि इस मामले में सरकार विधिक विभाग से राय ले रही है। यह आने के बाद सरकार इस जनजाति सलाहकार परिषद (टीएसी) में ले जाएगी। उसके बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा।
इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जनजाति-अनुसूचित जाति को अधिक समय तक लोन मिले, सरकार इसका प्रयास कर रही है। राज्य में 50 प्रतिशत से थोड़ा कम ही जनसंख्या इस वर्ग की है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बैंक भी इस वर्ग को ज्यादा सपोर्ट नहीं करती है।
हमारी सरकार इसे गंभीरता से ले रही है। मुख्य सचिव को इस बारे में निर्देश दिया गया है। सरकार की सिर्फ ए-बी ग्रुप की नहीं, बल्कि सभी वर्गों की चिंता है।
बहुत जल्द ही पूरे मामले का अध्ययन कर सरकार फैसला करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जनजाति-जाति वर्ग के बच्चों को एजुकेशन लोन लेने में भी परेशानी आती रही है।
सरकार पूरे मामले पर मंथन कर रही है। वे मौजूदा सत्र में इस मामले में पूरी बातों को और स्पष्टता से रखेंगे। दूसरी ओर झारखंड विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गयी है।
सत्र के तीसरे दिन सदन में कांग्रेस विधायक दीपिका पाण्डेय सिंह ने पेंशन स्कीम का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नई पेंशन स्कीम से कर्मचारियों को काफी परेशानी हो रही है।
जरूरी है कि पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाए। उन्होंने राजस्थान सरकार के लाये प्रावधान का हवाला दिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कहा कि इस मामले में एक समय सीमा तय कर पुरानी पेंशन योजना लाने की दिशा में कार्रवाई करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को आम नागरिकों की चिंता है। वे भविष्य को लेकर भयभीत ना हों। पुरानी पेंशन योजना एक बहुत बड़ा विषय है। इसके नफा नुकसान को सरकार देखेगी।
इसके बाद ही पुरानी पेंशन योजना को लाने पर सरकार विचार करेगी। इस पर वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा है कि इस तरह का कोई प्रस्ताव अभी तक सरकार के पास नहीं है।