रांची: झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था (Jharkhand State Child Protection Society) एवं चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट (Child in Need Institute) के तत्वावधान में सोमवार को “बच्चों के परिवार आधारित देखभाल को प्रोत्साहित करने एवं बाल विवाह (Child Marriage) की रोकथाम” विषय पर एक राज्यस्तरीय कार्यशाला (State Level Workshop) का आयोजन किया गया।
कार्यशाला के दौरान राज्य में मिशन वात्सल्य के अंतर्गत बच्चों के परिवार आधारित देखभाल को प्रोत्साहित (Encourage) कर जमीनी स्तर पर ऐसी व्यवस्थाओं को स्थापित करने पर चर्चा हुई।
बच्चों का संरक्षण करना हम सभी का दायित्व है : राजेश्वरी बी
कार्यशाला के दूसरे चरण में राज्य में बच्चों के अधिकारों के हनन से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे “बाल विवाह” पर चर्चा की गई।
मौके पर मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने बाल विवाह (Child Marriage) को एक गंभीर समस्या बताते हुए विभागीय स्तर पर विभिन्न हितधारकों के समन्वय से इसकी रोकथाम के लिए कार्ययोजना को मूर्त रूप देने की बात कही।
बाल विवाह की रोकथाम में शिक्षा के महत्त्व को स्वीकार करते हुए बच्चों के शिक्षा से जुड़ाव को सुनिश्चित कर उनके विद्यालय परित्याग (School Dropout) की संभावनाओं को कम करने पर भी विचार किया गया।
उन्होंने कहा कि बच्चों का संरक्षण करना हम सभी का दायित्व है। आज के संरक्षण से ही कल के बच्चों का भविष्य निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि यह झारखंड राज्य में बाल विवाह एक चिंता का विषय है क्योंकि यह कई अन्य समस्याओं को भी जन्म देता है।
यह किशोरियों (Teen Girls) की शिक्षा को कम करता है, उनके स्वास्थ्य से समझौता करता है, उन्हें हिंसा के लिए उजागर करता है और उन्हें गरीबी में फंसाता है, उनकी संभावनाओं और क्षमता को कम करता है।
उन्होंने कहा कि राज्य के पास बाल विवाह को समाप्त करने के लिए कार्य योजना है जो कारणात्मक (Causative) कारकों को दूर करने और कानून प्रवर्तन सुनिश्चित करने के लिए बहु-आयामी रणनीतियों और सहयोगात्मक दृष्टिकोण (Collaborative Approach) की वकालत करती है।
बच्चों को सरकार के द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा जाएगा
इस योजना में इस मुद्दे को हल करने के लिए स्थानीय प्रशासन पर उनके स्तर पर उचित कार्रवाई करने के लिए बढ़ी हुई जिम्मेदारियों की परिकल्पना (Hypothesis) की गई है।
योजना में युवा लड़कियों और लड़कों को ज्ञान, योजनाओं और कार्यक्रमों तक पहुंच के साथ सशक्त बनाना शामिल है। इसमें बाल संरक्षण संरचनाओं को मजबूत करना और कौशल विकसित करना भी शामिल है।
इसके साथ ही संवर्धन कार्यक्रम के माध्यम से जिले के बच्चों को सरकार के द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं (Operated Social Security Schemes) से जोड़ा जाएगा।
जो यह निर्धारित करेगा कि जिले से कोई भी बच्चा बाल तस्करी एवं बाल श्रम का शिकार ना हो, बल्कि वह सरकार की सभी योजनाओं का सुचारु रूप से लाभ ले सके।
उन्होंने कहा कि जिले के जितने भी कठिन परिस्थिति में रहने वाले बच्चे हैं उनका मैपिंग (Mapping) करने में जिला प्रशासन अपने स्तर से सहयोग प्रदान कर रहा है, ताकि हम एक नए जिले की ओर बढ़ सकें और बाल सुरक्षा (Child Safety) का मजबूत कवच तैयार कर सकें।
कार्यशाला में बाल संरक्षण विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव, यूनिसेफ (UNICEF) की राज्य कार्यक्रम प्रबंधक तन्वी झा के साथ-साथ झारखण्ड राज्य बाल संरक्षण संस्था के पदाधिकारी एवं अन्य स्वयं सेवी संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।