Child Marriage : समाज में जागरूकता (Awareness) हो तो कई समस्याओं का समाधान आसानी से सामने आ जाता है। किरीबुरू क्लस्टर (Kiriburu Cluster) के महिला समूह ने ऐसा उदाहरण पेश कर सराहनीय काम किया है।
इस समूह ने दो नाबालिग (Minors) सहेलियों को बाल विवाह (Child Marriage) के नर्क में जाने से बचा लिया।
प्रेमी के घर रहने की सूचना
बताया जाता है कि दोनों नाबालिगों की उम्र लगभग 12 वर्ष के करीब है।
इस बाबत रीना दास ने बताया कि किरीबुरु क्लस्टर की महिला समूह (Women Group) को जानकारी मिली कि मेन मार्केट की दो नाबालिग बच्चियां बीते मंगला उषा पर्व के समय से अपने-अपने घर से भागकर प्रेमी (Lover) के घर रह रही हैं। दोनों शादी (Marriage) करने वाली हैं।
इसमें से एक नाबालिग के पिता की मौत पहले हो गई थी। उसकी मां दूसरी शादी कर दूसरी जगह रहती है।
दूसरी नाबालिग लड़की के माता-पिता हैं। वह 5वीं कक्षा तक पढ़ी है। वह इससे पहले भी कई बार घर से भाग चुकी है। इस कारण उसके माता-पिता भी परेशान रहते हैं।
स्कूल में एडमिशन कराने का फैसला
रीना दास ने आगे बताया की दोनों नाबालिगों के प्रेमी के परिजन इन्हें स्वीकार कर अपने-अपने घरों में रखे हुए थे।
महिला समूह ने परिवार के साथ मिलकर यह निर्णय लिया कि जो अशिक्षित (Uneducated) लड़की है, उसका नामांकन नोवामुंडी स्थित कैंप स्कूल में कराया जाएगा। उसके बाद कस्तूरबा विद्यालय (Kasturba School) में।
दूसरी लड़की को कस्तूरबा विद्यालय में नामांकन कराया जाएगा।
इसके अलावा डालसा (Dalsa) से जरूरी कानूनी व अन्य मदद ली जाएगी।
इस दौरान महिला समूह की अध्यक्ष यशोदा गुप्ता, सचिव प्रतिमा सिंह, पारा लीगल रीना दास, जेंडर सीआरपी हीरामणि बारला, अनिता पान, ग्रेस बोदरा, नीलिमा लागुरी, नमिता हेंब्रम, निशा शांडिल्य मौजूद थीं। अब समाज में इन सभी महिलाओं के अच्छे कार्य की सराहना हो रही है।