बीजिंग: हाल में ब्रिटेन में कोरोनावायरस का प्रकार-भेद आया, जिसकी संक्रामकता पहले से 70 प्रतिशत अधिक है। ब्रिटेन सरकार ने वायरस का फैलाव अनियंत्रित होने की घोषणा की है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पिछले सितंबर में मिले मामलों में वायरस का प्रकार-भेद पाया गया है।
इस वायरस का संक्रामक सूचकांक 1.1 से 1.5 तक बढ़ा। ऑस्ट्रेलिया, आइसलैंड, इटली, नीदरलैंड, डेनमार्क आदि कई देशों में संबंधित मामले दर्ज हुए हैं।
इसके अलावा, दक्षिण अफ्रीका में भी कोरोना वायरस का अन्य प्रकार-भेद मिला है, लेकिन ब्रिटेन में मिले वायरस से अलग है। ब्रिटेन ने कहा कि वायरस का प्रकार-भेद टीके की कारगरता कम नहीं करेगा। एंटीबॉडी प्रतिक्रिया का परिणाम आने वाले दिनों में जारी किया जाएगा।
दरअसल, टीका कोरोनावायरस की रोकथाम और नियंत्रण का सबसे अच्छा उपाय है। विभिन्न देशों के वैज्ञानिक कोरोना टीके के अनुसंधान में जुटे हुए हैं। अब देखते हैं चीन के कोरोना टीके दुनिया के पहले स्थान पर हैं। कोविड-19 महामारी फैलने के बाद चीन ने 5 तकनीक लाइनों में टीके के अनुसंधान और विकास का काम शुरू किया।
अब चीन के 15 टीकों के नैदानिक परीक्षण हो रहे हैं, जिनमें 5 टीके तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण में प्रवेश हो चुके हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। चीन में महामारी की रोकथाम में सफलता मिली, पुष्ट मामले बहुत कम हैं। इसलिए चीन के टीकों का नैदानिक परीक्षण अन्य देशों के साथ किया जा रहा है।
ताजा खबर के अनुसार ब्राजील में चीन के कोरोना टीके का तीसरे चरण का नैदानिक परीक्षण पूरा हो चुका है। इस टीके का इंडोनेशिया और तुर्की में नैदानिक परीक्षण भी किया गया।
ब्राजिल के संबंधित कर्मचारियों ने कहा कि चीन के कोरोना टीके की कारगरता अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा स्वीकृत मापदंड से भी अधिक है।
चीन के कोरोना टीके का नैदानिक परीक्षण करने और कानून के अनुसार स्वैच्छिक रूप से करीब एक लाख लोगों में टीका लगाने से पूर्ण रूप से जाहिर है कि चीन के कोरोना टीके बहुत सुरक्षित हैं।
लगाने वालों में कोई गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं आई। कारण है कि चीन के टीके निष्क्रियता का तकनीक अपनाते हैं, जो काफी परिपक्व है। इस तरह का टीका लगाने से लोग ज्यादा निश्चिंत रहते हैं।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)