Tension between India and China: भारत और चीन के बीच तनाव (India and China Tension ) का इतिहास पुराना रहा है। अभी चीन को लेकर अमेरिका ने एक ऐसी रिपोर्ट जारी की, जो भारत के लिए बेहद जरूरी है।
इस रिपोर्ट के बारे में हर भारतीय को जानना भी जरूरी है, क्योंकि तभी वह चीन के इरादों को भांप पाएगा।
बात उसकी सुरक्षा से जुड़ी हो, तो वह बिल्कुल नहीं चाहता है कि कोई इस बारे में जान पाए। खासतौर पर भारत तो बिल्कुल भी नहीं।
चीन अपनी सुरक्षा से जुड़ी जानकारियों को किसी भी कीमत पर बाहर नहीं आने देता है। हालांकि, इस बार उसकी कुछ ऐसी जानकारियां सामने आई हैं, जिस पर गौर करने की बहुत ज्यादा जरूरत है।
चीनी सेना के पास कितने परमाणु बम
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने इस हफ्ते चीन की सेना को लेकर अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। चीनी सेना के पास कितने परमाणु बम हैं। कितने विदेशी बेस से चीन ऑपरेट कर रहा है।
इस तरह जानकारी को रिपोर्ट में शामिल किया गया है। रिपोर्ट में चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अहम जानकारियां दी गई हैं। इसमें उसके हर हथियार की जानकारी दी गई है। ऐसे में आइए इस रिपोर्ट के बारे में और भी ज्यादा जानते हैं।
चीन के पास हथियार
विदेशी मिलिट्री बेस
चीन दुनियाभर में अपनी सैन्य मौजूदगी को भी बढ़ा रहा है। म्यांमार, थाईलैंड, इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, केन्या, नाइजीरिया, नामिबिया, मोजाम्बिक, बांग्लादेश, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन आइलैंड और ताजिकिस्तान में चीन अपने मिलिट्री बेस तैयार करने की कोशिश कर रहा है।
जहाज
चीन के पास पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। ये नौसेना तेजी से बढ़ती भी जा रही है। चीन के नौसेना के बेड़े में 370 जहाज और पनडुब्बियां हैं। पिछले साल इनकी संख्या 340 थी। 2025 तक उसका ये बेड़ा 395 और 2030 तक 435 जहाजों के बेड़े तक पहुंच जाएगा।
परमाणु हथियार
चीन के पास 500 ऑपरेशनल परमाणु बम (Operational Nuclear Bomb) हैं। 2030 तक उसके परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़कर 1000 के करीब पहुंच जाएगा।
2021 में अमेरिका ने बताया था कि चीन के परमाणु बमों की संख्या 400 है। परमाणु बम की संख्या के मामले में चीन दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
मिसाइल
चीन ने 2022 में तीन नए साइलो फील्ड का निर्माण पूरा कर लिया है। चीन के पास 300 नए इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (Intercontinental Ballistic Missile) का साइलो है।
साइलो उस जगह को कहा जाता है, जिसमें मिसाइलों को स्टोर किया जाता है। चीन पारंपरिक इंटरकॉन्टिनेंटल रेंज मिसाइस सिस्टम (Intercontinental Range Missile System) भी तैयार कर रहा है।