COVID वैक्सीन पर भारत की जीत से बौखलाए चीनी हैकर्स ने Serum और Biotech के सिस्टम में की सेंधमारी

Central Desk
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नई दिल्ली: भारतीय क्षेत्र पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के समक्ष घुटने टेकने के बाद बौखलाए चीन ने साइबर क्षेत्र में भारतीय प्रतिष्ठानों में सेंधमारी करने का काम शुरू कर दिया है।

साइबर इंटेलिजेंस फर्म साइफर्मा के हवाले से पता चला है कि चीन के सरकारी हैकरों के समूह ने हालिया हफ्तों में दो भारतीय वैक्सीन निर्माता कंपनियों के आईटी सिस्टम को टारगेट किया है।

इन दोनों कंपनियों की बनाई वैक्सीन देश में 16 जनवरी से शुरू हुए टीकाकरण कार्यक्रम में इस्तेमाल की जा रही हैं।

ध्यान रहे कि पड़ोसी होने के साथ भारत और चीन एक दूसरे के कई क्षेत्रों में प्रतिद्वंदी भी हैं और दोनों देशों ने वैश्विक स्तर पर कई देशों को कोरोना वायरस वैक्सीन बेची है।

भारत वैश्विक स्तर पर 60 फीसदी से ज्यादा वैक्सीन की सप्लाई करता है।

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रिपोर्ट के मुताबिक चीनी हैकर्स सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बॉयोटेक, पतंजलि और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) को निशाना बना रहे हैं।

भारत के अलावा, जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, इटली और जर्मनी सहित बारह देश हैकर्स के रडार पर हैं।

साइफार्मा के मुख्य कार्यकारी कुमार रितेश ने कहा कि एपीटी10 एसआईआई को एक्टिव रूप से टारगेट कर रहा है, जोकि इस समय कई देशों के लिए एस्ट्राजेनेका वैक्सीन बना रही है और जल्द ही नोवावैक्स वैक्सीन का भी निर्माण शुरू कर देगा।

रितेश ने हैकर्स का हवाला देते हुए कहा, सीरम इंस्टीट्यूट के मामले में, उन्होंने अपने सार्वजनिक सर्वरों को कमजोर वेब सर्वर चलाने वाले कई लोगों को पाया है, ये कमजोर वेब सर्वर हैं।

माक्रोसाफ्ट ने नवंबर में कहा था कि उसने भारत, कनाडा, फ्रांस, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में कोविड-19 वैक्सीन कंपनियों को लक्षित करने वाले रूस और उत्तर कोरिया के साइबर हमलों का पता लगाया था।

उत्तर कोरियाई हैकर्स ने ब्रिटिश ड्रगमेकर एस्ट्राजेनेका के सिस्टम में सेंध लगाने की भी कोशिश की थी।

इससे पहले, दक्षिण कोरिया की जासूसी एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उत्तर कोरियाई हैकर्स ने फार्मास्युटिकल दिग्गज फाइज़र के कंप्यूटर सिस्टम को हैक करने की कोशिश की थी।

इसके अलावा पिछले साल दिसंबर में यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) पर हैकर्स द्वारा सफलतापूर्वक हमला किया गया था।

कोविड-19 वैक्सीन और उसके अनुसंधान से जुड़े संवेदनशील डेटा को चुराने के बाद साइबर अपराधियों ने इस साल जनवरी में इसे लीक कर दिया।

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