नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी का मसला सुलझाते हुए चिराग पासवान को हेलीकॉप्टर चुनाव चिन्ह और पशुपति पारस को सिलाई मशीन चुनाव चिन्ह सौंपा है।
इसके साथ ही चिराग गुट अब लोक जनशक्ति पार्टी( पासवान गुट) और पारस गुट अब राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नाम से जाना जाएगा। दरअसल रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान और भाई पशुपति पारस के बीच पार्टी की दावेदारी को लेकर लंबे समय से अंतर्विरोध चल रहा था।
मंगलवार को आयोग ने फैसला सार्वजनिक कर मामले में सुलह करा दी है। चुनाव आयोग पासवान के पुत्र चिराग और भाई पशुपति कुमार पारस को उनकी नई पार्टी का नाम के साथ-साथ चुनाव चिन्ह भी सौंप दिया है।
पिछले काफी समय से चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच पार्टी (लोक जनशक्ति पार्टी) पर दोनों गुटों की अपनी-अपनी दावेदारी पेश की जा रही थी। मामले में दोनों गुटों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर दावा किया था कि पार्टी का बंगला चुनाव चिन्ह है।
चिराग पासवान ने आयोग से कहा था कि पशुपति पारस गुट ने अवैध रूप से पार्टी को अपने कब्जे में लिया। जिसके बाद चुनाव आयोग ने बयान जारी कर कहा था, लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों धड़े-चिराग और पासवान (पशुपति पारस) किसी भी गुट को लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिह्न् का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
फिलहाल दोनों गुटों को अंतरिम उपाय के तौर पर, उनके समूहों के नाम और उनके उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न् आवंटित किए जा सकते हैं। अब बिहार में होने वाले उपचुनाव से ठीक पहले आयोग ने दोनों पक्षों को उनका चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम सौंप दिया है।
लोजपा के दोनों गुटों ने उपचुनाव में उम्मीदवारों उतारने का फैसला किया है। इस समय बिहार की दो विधानसभा उपचुनाव सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया जारी है।
लोक जनशक्ति पार्टी में ये विवाद तब शुरू हुआ जब बीते माह जून में 5 सांसद चिराग पासवान से अलग होकर पशुपति पारस के खेमे में चले गए और अघोषित तौर पर पशुपति पारस ने एक अलग खेमा बना लिया था।
इसके बाद चिराग के चाचा पशुपति पारस ने स्वयं को रामविलास पासवान का उत्तराधिकारी घोषित करते हुए पार्टी अध्यक्ष घोषित कर दिया।
इस बीच लोकसभा में, पशुपति पारस गुट को अध्यक्ष ओम बिरला ने लोक जनशक्ति पार्टी के तौर पर मान्यता दे दी थी और केंद्र की मोदी सरकार में भी वह लोक जनशक्ति पार्टी कोटे से मंत्री भी थे।