DY Chandrachud: भारत के मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने खुद को कानून और संविधान का सेवक बताया है। उन्होंने Collegium खत्म करने की मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर यह बात कही।
वकीलों ने अपनी याचिका में कहा था कि CJI को कॉलेजियम और वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम की प्रणाली को खत्म करना चाहिए। CJI ने वकील Mathews J Nedumpara से कहा, एक वकील के रूप में आपको अपने दिल की इच्छा पूरी करने की आजादी है।लेकिन कोर्ट के जज के रूप में मैं कानून और संविधान का सेवक हूं। मुझे निर्धारित कानून का पालन करना होगा।
NJAC के फैसले की समीक्षा की मांग हुई
2014 में NDA सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम पारित किया, जिससे अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एक वैकल्पिक प्रणाली स्थापित की गई। इसने प्रक्रिया में मोदी सरकार के लिए एक बड़ी भूमिका का भी प्रस्ताव रखा।
लेकिन 2015 में Supreme Court ने फैसला सुनाया कि यह कानून असंवैधानिक है, क्योंकि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश करता है।
हालांकि संविधान न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली (Collegium System) का प्रावधान नहीं करता है, जहां सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के पहले तीन या पांच न्यायाधीश अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नाम प्रस्तावित करते हैं। कॉलेजियम प्रणाली 1982 और 1998 के बीच शीर्ष अदालत के द्वारा तीन निर्णयों के आधार पर अस्तित्व में आई।
वकील की याचिका में NJAC के फैसले की समीक्षा की मांग हुई है, जिसमें तर्क दिया गया है कि 2015 के फैसले को शुरू से ही रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसने कॉलेजियम प्रणाली को पुनर्जीवित किया था। याचिकाकर्ताओं ने कॉलेजियम प्रणाली को भाई-भतीजावाद और पक्षपात का पर्याय करार दिया है।