सुप्रीम कोर्ट में मामला आने से पहले राज्यपालों को करनी चाहिए करवाई, CJI ने..

शीर्ष अदालत ने विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी के लिए राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के खिलाफ पंजाब सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही

News Aroma Media
7 Min Read

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि राज्यों के राज्यपालों को मामला (Governors Matter) शीर्ष अदालत में आने से पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए।

भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश (CJI) D.Y. चंद्रचूड़ (CJI D.Y. Chandrachur) ने कहा, “यह समाप्त होना चाहिए, राज्यपाल केवल तभी कार्रवाई करते हैं जब मामले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचते हैं।”

शीर्ष अदालत ने विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी के लिए राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित (Banwarilal Purohit) के खिलाफ पंजाब सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।

मामले की सुनवाई कर रही पीठ में CJI के अलावा न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पंजाब सरकार ने विधानसभा द्वारा पारित सभी लंबित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल को निर्देश देने की मांग की थी।

राज्यपाल ने CM मान को भेजा पत्र

पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने कहा कि चार विधेयक 26 जून को राज्यपाल को भेजे गए थे। सत्र बुलाने पर आपत्ति जताते हुए राज्यपाल ने CM मान को पत्र भेजा था।

- Advertisement -
sikkim-ad

उन्होंने अदालत को बताया, “जुलाई से लेकर चार महीनों तक राजकोषीय बिल आदि पारित नहीं किए गए।”

हालांकि, CJI ने कहा कि एसजी तुषार मेहता कह रहे हैं कि राज्यपाल ने कार्रवाई की है। एसजी मेहता ने कहा कि दो राज्यों में कुछ आश्चर्यजनक चीजें पहले कभी नहीं हुईं।

CJI ने आगे बताया कि ऐसा दूसरे राज्य में भी हुआ।

“वादियों को सुप्रीम कोर्ट क्यों आना पड़ता है? विधेयक राज्यपाल को पारित करना है।”

सिंघवी, जो पहले तेलंगाना राज्य के लिए पेश हुए थे, ने कहा, “हम आए और फिर राज्यपाल ने विधेयक पारित किया”।

CJI ने कहा, “आप सुप्रीम कोर्ट आते हैं और फिर राज्यपाल कार्रवाई करना शुरू कर देते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।”

CJI ने कहा कि दोनों सरकारों और राज्यपालों को कुछ आत्म-मंथन करने की आवश्यकता है। उन्‍होंने पूछा, “बजट सत्र बुलाने के लिए पार्टियों को सुप्रीम कोर्ट जाने की आवश्यकता क्यों होनी चाहिए?… ये राज्यपाल और मुख्‍यमंत्री द्वारा तय किए जाने वाले मामले हैं।”

वरिष्ठ वकील वेणुगोपाल ने अदालत से केरल के मामले को भी मौजूदा मामले के साथ लेने का अनुरोध किया।

उन्‍होंने कहा, “केरल विधानसभा ने तीन विधेयक पारित किए हैं जिन्‍हें राज्यपाल ने दो साल से लंबित रखा है…।”

इस पर CJI ने हालांकि कहा कि इन मामलों को जल्द से जल्द सूचीबद्ध किया जाता है।

पंजाब की याचिका पर सीजेआई ने कहा कि यह कहा गया है कि विधेयकों को अनुच्छेद 200 के अनुसार आवश्यक तरीके से राज्यपाल द्वारा नहीं निपटाया गया है। दो विधेयकों में राज्यपाल ने कार्रवाई की है।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल द्वारा लिया गया आधार यह था कि विधानसभा को 22 मार्च को स्थगित कर दिया जाना चाहिए था और उसके बाद फिर से बुलाया जाना चाहिए था।

CJI ने कहा, “विधानसभा को नियंत्रित करने वाले नियमों के नियम 16 के अनुसार, सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया और फिर दोबारा बुलाया गया। SG मेहता ने कहा कि राज्यपाल ने उचित कार्रवाई की है और एक अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेंगे। इस अदालत को शुक्रवार को इससे अवगत कराया जाएगा।”

विधेयक 2023 को मंजूरी दे दी

पंजाब राज्य ने अपनी याचिका में कहा था कि इस तरह की “असंवैधानिक निष्क्रियता” (“Unconstitutional inaction) ने पूरे प्रशासन को “ठप्प” कर दिया है। राज्‍य ने शीर्ष अदालत के समक्ष तर्क दिया कि राज्यपाल अनिश्चित काल तक विधेयकों को रोक कर नहीं बैठ सकते क्योंकि उनके पास संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत सीमित शक्तियां हैं।

पुरोहित मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के साथ चल रहे झगड़े में शामिल रहे हैं।

राज्यपाल ने 1 नवंबर को उन्हें भेजे गए तीन में से दो विधेयकों को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके कुछ दिनों बाद उन्होंने मान को लिखा कि वह विधानसभा में पेश करने की अनुमति देने से पहले योग्यता के आधार पर सभी प्रस्तावित कानूनों की जांच करेंगे।

धन विधेयक को सदन में पेश करने के लिए राज्यपाल की मंजूरी आवश्यक है।

पुरोहित ने पंजाब वस्‍तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2023 और भारतीय स्टांप (पंजाब संशोधन) विधेयक 2023 को मंजूरी दे दी है। लेकिन 19 अक्टूबर को मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में राज्यपाल ने तीन धन विधेयकों को अपनी मंजूरी रोक दी।

CM मान ने कहा ….

इससे पहले उन्होंने पंजाब राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2023, पंजाब वस्‍तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2023 और भारतीय स्टांप (पंजाब संशोधन) विधेयक 2023 की अपनी मंजूरी रोक दी थी, जिन्हें 20-21 अक्टूबर के सत्र के दौरान विधानसभा में पेश किया जाना था।

राज्यपाल ने कहा था कि 20-21 अक्टूबर का सत्र, जिसे बजट सत्र के विस्तार के रूप में पेश किया गया था, “अवैध” होगा और इसके दौरान आयोजित कोई भी व्यवसाय “गैरकानूनी” होगा। 20 अक्टूबर को पंजाब सरकार ने अपने दो दिवसीय सत्र में कटौती कर दी थी।

CM मान ने तब कहा था कि उनकी सरकार राज्यपाल के आचरण के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाएगी।

इससे पहले, पंजाब सरकार ने राज्यपाल पर मार्च में बजट सत्र (Budget Session) बुलाने के कैबिनेट के फैसले को रोके रखने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

सिख गुरुद्वारा (संशोधन) विधेयक 2023, पंजाब विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक 2023, पंजाब पुलिस (संशोधन) विधेयक 2023, और पंजाब संबद्ध कॉलेज (सेवा की सुरक्षा) संशोधन विधेयक 2023 अभी भी राज्यपाल की सहमति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ये विधेयक पंजाब विधानसभा के 19-20 जून के सत्र के दौरान पारित किए गए थे, जिन्हें राज्यपाल ने “पूरी तरह से अवैध” बताया था।

Share This Article