नई दिल्ली : विदेश में एक शख्स के मामूली सवाल करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट में बड़ा फेरबदल (Major reshuffle in Supreme Court) करने का निर्णय लिया है।
क्योंकि उस शख्स के जवाब में CJI के पास बदलाव के अलावा कोई रास्ता भी नहीं था। दरअसल हाल ही में विदेश यात्रा के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) से दर्शकों में बैठे एक शख्स ने पूछ लिया कि बैंच में सभी कुर्सियां अलग अलग ऊंचाई की क्यों हैं।
बस फिर क्या था, CJI ने इस पर तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए। अब जजों के लिए कुर्सियों को नए ढंग से डिजाइन किया गया है।
जिसमें जज अपनी आराम और सुविधा के हिसाब से फेरबदल कर सकते हैं, साथ ही उनको एक समान ऊंचाई पर भी सेट किया गया है।
यह बदलाव Supreme Court में हाल में किए गए बुनियादी ढांचे के सुधार का ही एक हिस्सा है, जिसमें नई डिजिटल तकनीक भी शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के अधिकारियों ने कहा…
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के अधिकारियों ने कहा कि लंबे वक्त से जज अपनी कुर्सियों में अपनी जरूरतों और आराम के हिसाब से बदलाव करते रहे हैं।
मगर बेंच पर कुर्सियों की गैर-बराबर ऊंचाई ने कभी भी अधिकारियों का ध्यान अपनी तरफ नहीं खींचा था। जब 21 मई से 2 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट की गर्मियों की छुट्टी के दौरान ब्रिटेन में एक कार्यक्रम में CJI चंद्रचूड़ को इसके बारे में बताया गया, तो उन्होंने इस बात पर गौर किया।
कार्यक्रम में दर्शकों में से एक जिज्ञासु शख्स ने CJI से पूछा कि ‘क्या आप मुझे बता सकते हैं कि कोर्ट में बेंच में कुर्सियों की ऊंचाई अलग-अलग क्यों है? उस शख्स ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को ऑनलाइन देखा था।
काम पर लंबे समय तक रहने के कारण होती हैं पीठ संबंधी समस्याएं
CJI चंद्रचूड़ को तुरंत एहसास हुआ कि उसकी बात सही है और भारत लौटने पर उन्होंने अपने स्टाफ को यह बात बता दी।
वे भी इस बात से सहमत थे कि यह एक जायज सवाल था। उन्होंने कहा कि कुर्सियों की ऊंचाइयां अलग-अलग इसलिए हैं क्योंकि अलग-अलग जज अलग-अलग समय पर अपनी कुर्सियों में बदलाव करते हैं।
जिसका मुख्य कारण है कि काम पर लंबे समय तक रहने के कारण पीठ संबंधी समस्याएं (Back Problems) होती हैं। CJI चंद्रचूड़ ने तब सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों को निर्देश दिया कि कंधे, गर्दन, पीठ और जांघ को सही सपोर्ट देने और शरीर के हिसाब से एडजस्ट की जा सकने वाली कुर्सियां जरूर हों, मगर एकरूपता के लिए कम से कम उनकी ऊंचाई बराबर रखी जानी चाहिए।