नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने न्यायपालिका में महिलाओं को समान अवसर उपलब्ध कराने पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि यदि समान अवसर मिले तो न्यायपालिका में अधिक महिलाएं शामिल होंगी। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यापालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। इसे और बढ़ाने की जरूरत है।
मुख्य न्यायाधीश ने कानूनी प्रणाली (Legal system) में व्याप्त बाधाओं पर चर्चा करते हुए कहा कि अधिक समावेशी अर्थों में योग्यता को फिर से परिभाषित करने, महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले लोगों को समान अवसर सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें समावेशी अर्थों में योग्यता को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है।
यदि आप प्रवेश के लिए समान अवसर खोलते हैं, तो आपके पास न्यायपालिका में अधिक महिलाएं होंगी। न्यायपालिका में जब तक हम प्रवेश स्तर पर हाशिए पर रहने वाले लोगों शामिल करना शुरू नहीं करते, तब तक हम उनकी उचित हिस्सेदारी हासिल नहीं कर सकते।
मुख्य न्यायाधीश ने न्यायपालिका में भाषा संबंधी बाधाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि ‘अंग्रेजी को एक केंद्रीय भाषा के रूप में समझा जाता था, जो हमारी संस्था को एक साथ बांधती है, लेकिन यह वह भाषा नहीं है, जिसे देश के लोग बोलते हैं।
हमें अपनी अदालतें लोगों के लिए खोलने की जरूरत है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कानूनी और उच्च शिक्षा में महिलाएं कम जा रही हैं। उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश परीक्षाएं (Entrance Exams) अंग्रेजी में होने से महिलाओं और समाज में हाशिए पर रहने वाले लोग (जो अंग्रेजी के परिवेश से नहीं होते हैं) पिछड़ जाते हैं।
अगले 10 सालों में उच्च न्यायापालिका में भी महिलाओं की अधिक भागीदारी होगी
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि देशभर में जिला स्तर पर न्यायपालिका में पुरुषों की तुलना में अधिक महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति हो रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में 120 में से 70 महिला न्यायाधीश नियुक्त हो रही हैं।
जब Law Farm में महिला वकीलों की नियुक्ति होती है तो लोगों के जेहन में एक सोच होती है कि महिला पर परिवार और बच्चे पालने की जिम्मेदारी होती है। जब तक हम इस सोच को नहीं बदलेंगे, सुधार संभव नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अब समय बदल रहा है, बदलाव शुरू हो गया है, आप देखेंगे कि अगले 10 सालों में उच्च न्यायापालिका में भी महिलाओं की अधिक भागीदारी होगी। उन्होंने कहा कि अब सेनाओं में भी महिलाओं के अधिकारी बनने का रास्ता साफ हो गया है।
चंद्रचूड़ ने कहा कि विधायिका अदालत (Legislative court) के फैसले में रेखांकित की गई कानून की खामियों को दूर करने के लिए नया कानून लागू कर सकती है, लेकिन किसी फैसले को सीधे तौर पर खारिज नहीं कर सकती है।