Aligarh Muslim University: अलीगढ़ मुस्लम यूनिवर्सिटी (Aligarh Muslim University) के अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे को लेकर बीते एक सप्ताह से सुनवाई चल रही है। बीते रोज इसकी सुनवाई के दौरान Supreme Court ने एक महत्वपूर्ण् टिप्पणी की है।
CJI Justice D Y चंद्रचूड़ ने कहा कि ,हमें यह भी समझना होगा कि एक अल्पसंख्यक संस्था भी राष्ट्रीय महत्व की संस्था हो सकती है और संसद एक अल्पसंख्यक संस्था को भी राष्ट्रीय महत्व की संस्था के रूप में नामित कर सकती है।
हम इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि Aligarh Muslim University की स्थापना मुसलमानों के लिए हुई थी, और जब इसे बनाया गया था तो यह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की तर्ज पर था और यह एक मिसाल थी।
Bar and Bench की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले नीरज किशन कौल ने कहा, आरक्षण या अल्पसंख्यकों का कौन सा अधिकार छीना जा रहा है? ऐसा क्या किया जा रहा है कि देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को नुकसान पहुंचाने की बात हो रही है? ऐसा कुछ भी नहीं है। सभी नागरिक समान हैं। इसी के जवाब में CJI ने उपरोक्त बात कही।
AMU अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे का दावा कर सकता है या नहीं?
AMU बनाम नरेश अग्रवाल और अन्य के मामले में संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि एक अल्पसंख्यक संस्थान भी संसद से राष्ट्रीय महत्व की संस्था (Institute of National Importance) का दर्जा पा सकता है।
बुधवार को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल, जो प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित हुए थे, ने कहा कि यह तर्क देना पूरी तरह से गलत है कि मुसलमानों के अल्पसंख्यक अधिकार खतरे में हैं। बता दे कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे पर इन दिनों Supreme Court में संविधान पीठ सुनवाई कर रही है।
सुनवाई के सातवें दिन बुधवार को Supreme Court ने इस मामले में एक अहम टिप्पणी की है। इसमें कहा गया है कि Aligarh Muslim University की स्थापना मुस्लिमों के लिए की गई थी, इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस D Y चंद्रचूड़ (D Y Chandrachur) की अध्यक्षता में सात जजों की संविधान पीठ इस मामले में इस तथ्य की कानूनी छानबीन और जांच कर रही है कि संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत क्या AMU अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे का दावा कर सकता है या नहीं? खंडपीठ में चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना,जस्टिस सूर्यकांत, Justice JB Pardiwala, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश सी शर्मा शामिल हैं।