पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Election) में कांग्रेस की जीत पर बधाई दी है। इधर, इस जीत से कांग्रेस में भी उत्साह है।
कांग्रेस के नेताओं ने प्रदेश कार्यालय में जश्न मनाया। कर्नाटक की जीत पर सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक दलों ने प्रसन्नता जताई है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कर्नाटक की जीत पर कांग्रेस को बधाई दी। नीतीश कुमार ने Tweet कर कहा कि कर्नाटक विधानसभा आम चुनाव में जीत एवं स्पष्ट बहुमत हासिल करने पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
इधर, कर्नाटक में जीत के बाद प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में जश्न का माहौल दिखा। पार्टी कार्यकर्ता यहां ढोल बजा रहे हैं, मिठाइयां बांटी।
प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह (Akhilesh Singh) ने कहा है कि यह कर्नाटक की जनता की जीत है। उन्होंने कहा कि हमारे नेता राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा और पांच योजना कार्यक्रम का सकारात्मक परिणाम यह चुनाव रहा।
ललन सिंह ने ट्वीट कर कहा…
उन्होंने कहा 2024 के लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) से पूर्व यह जनता के मिजाज का लिटमस टेस्ट था जिसमें जनता ने छद्म हिंदुत्व, बेरोजगारी व भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली और देश की एकता को खंडित करने वाली पार्टी भाजपा के खिलाफ वोटिंग करके देश के प्रधानमंत्री की तानाशाही नीतियों पर हमला किया है।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह (Rajeev Ranjan Singh) उर्फ ललन सिंह ने ट्वीट कर कहा कि कर्नाटक में भाजपा ने हर हथकंडा अपना लिया यहां तक कि साम्प्रदायिक कार्ड भी जमकर खेला।
प्रधानमंत्री ने भी इस स्तर पर उतर कर चुनाव प्रचार किया जो उनकी कद को शोभा नहीं देता है। लेकिन कर्नाटक में भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार के आगे सभी हथकंडे विफल रहे और राज्य अब भाजपा मुक्त होने वाला है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में भाजपा कर्नाटक और दिल्ली नगर निगम की सत्ता से बाहर हुई है। इस साल मध्य प्रदेश भी भाजपा मुक्त होना चाहिए और 2024 में देश भी, बस इंतजार करें।
कर्नाटक चुनाव के नतीजे का संदेश स्पष्ट है
इधर, राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी (National Vice President Shivanand Tiwari) ने कर्नाटक की हार भाजपा की हार से कहीं ज्यादा प्रधानमंत्री Narendra Modi जी की हार बताया।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक चुनाव के नतीजे का संदेश स्पष्ट है कि लोगों को भरमा कर उनका समर्थन हासिल नहीं किया जा सकता है। बेरोजगारी, महंगाई और भूख को हनुमान चालीसा और मंदिरों (Hanuman Chalisa and Temples) के सहारे भुलाया नहीं जा सकता है।