रांची: भोजपुरी, मगही एवं अन्य भाषाओं पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बयान बेहद दुखद और शर्मनाक है। संविधान पर आस्था रखते हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, उसी संविधान ने इन भाषाओं को मान्यता दी है।
ऐसे में मुख्यमंत्री के द्वारा भाषाई स्तर पर विभेद करना यह दर्शाता है कि मुख्यमंत्री संविधान में आस्था नहीं रखते हैं। उक्त बातें रांची के सांसद संजय सेठ ने मंगलवार को कही।
उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलन एक ऐसा आंदोलन रहा, जिसमें सभी समाज की भूमिका रही।
हर वर्ग ने झारखंड के लिए अपनी कुर्बानिया दी। बावजूद इसके मुख्यमंत्री के द्वारा ऐसा कहना समाज में विभेद पैदा करने वाला है।
मुख्यमंत्री को ऐसे बयान देने से पहले भारत की भाषाओं का इतिहास पढ़ना चाहिए। आज भोजपुरी और मगही के कलाकार वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाए हैं। इन भाषाओं ने हर क्षेत्र में अपनी प्रसिद्धि पाई है।
मुख्यमंत्री बार-बार कमजोर और दबा कुचला बोलकर झारखंड के बड़े आदिवासी समाज का भी अपमान करते हैं।
हर क्षेत्र में आर्थिक संपन्नता ही विकास का पैमाना नहीं हो सकती। आदिवासी समाज से भगवान बिरसा मुंडा, जयपाल सिंह मुंडा, रामदयाल मुंडा सहित कई विभूतियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
सेठ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह इस तरह की बयानबाजी नहीं करें, जिससे कि समाज में विभेद पैदा हो।