कोलकाता: मॉडल, सौंदर्य प्रतियोगिता विजेता और सोशल मीडिया के जरिए प्रभावित करने वाली (सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर) निताशा बिस्वास जानती थी कि एक पुरुष से महिला बनने का सफर जटिल होगा, लेकिन उन्होंने ‘गलत को ठीक’ करने के आड़े किसी रुकावट को नहीं आने दिया।
इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर डे ऑफ विजिबिलिटी के मौके पर कार्यकर्ताओं ने कहा कि कहीं भी ट्रांसजेंडर के लिए चीज़ें आसान नहीं होती हैं, लेकिन भारत में हाल के सालों में स्थितियां सुधरी हैं। केंद्र एवं राज्य सरकारों ने उनकी भलाई के लिए कदम उठाए हैं।
दक्षिण कोलकाता में रहने वाले एक परिवार में जन्मी बिस्वाल ने कहा, “ मैंने कम उम्र में ही अपनी मां को खो दिया था। मेरे स्कूल में दोस्त भी नहीं थे और रिश्तेदारों और परिचित लोगों के मज़ाक ने मेरी जिंदगी को और खराब कर दिया था।”
30 वर्षीय बिस्वाल ने कहा, “ मेरे पिता जो एक सरकारी अधिकारी थे, चाहते थे कि मैं अपने रिश्ते के भाई-बहनों की तरह की डॉक्टर या इंजीनियर बनूं। मैं फैशन जगत में जाना चाहती थी और यह तब मुमकिन हुआ जब मैं उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली गई। मैं अपने सपने साकार कर सकी। ”
उन्होंने कहा कि लिंग परिवर्तन के लिए ऑपरेशन के दौरान उनके साथ एक दोस्त को छोड़कर कोई नहीं खड़ा रहा। इसके बाद बिस्वाल ने ‘आज़ाद’ महसूस किया और उन्होंने ट्रांसजेंडर के लिए पहली सौंदर्य प्रतियोगिता जीती।
उन्होंने कहा, “ अब मेरे पिता के साथ मेरे रिश्ते बहुत सुधरे हैं। मैं जानती हूं बहुत सारे युवा भी इसी संघर्ष से गुजर रहे हैं और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए मैं अपनी कहानी साझा करती हूं।”
‘जॉन होपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन’ के ‘प्रोजेक्ट एक्सीलेटर’ में ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य निदेशक सिमरन भरूचा ने बताया कि ट्रांसजेंडर के लिए पिछले कुछ सालों में कई क्षेत्रों के दरवाजे खुले हैं लेकिन कई लोग उन्हें उपलब्ध लाभ और सेवा हासिल नहीं कर पाते हैं।
उन्होंने कहा, “ कुछ राज्य सरकारें बहुत इच्छित बदलाव लाने के लिए कदम उठा रही हैं। ओडिशा सरकार पुलिस में ट्रांसजेंडर को भर्ती कर रही है।”
भरूचा ने कहा, “ इसी तरह के कल्याणकारी उपाय देश के दूसरे हिस्सों में भी किए जा रहे हैं। ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) कानून 2019 भी समुदाय के लिए सकारात्मक बदलाव लेकर आया है।’