रांची: झारखंड में बकोरिया हत्याकांड (Bakoria Massacre) को लेकर CBI द्वारा कोर्ट में सौंपी गई क्लोजर रिपोर्ट (Closure Report) को कांग्रेस और राजद ने पीड़ितों के साथ अन्याय करार दिया है।
दोनों दल इस विषय को अब बड़ा मुद्दा बनाकर समाज में ले जाने की तैयारी में लग गए हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और राष्ट्रीय जनता दल की प्रदेश उपाध्यक्ष अनिता यादव (Anita Yadav) ने कहा कि भाजपा के दवाब में उन लोगों को बचाने का काम किया गया, जो संदेह के घेरे में थे।
इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट में CBI ने यह कहते हुए जांच बंद करने की बात कही है कि फर्जी मुठभेड़ होने का कोई सबूत नहीं मिला है।
… इसलिए मामले को किया जा रहा रफा-दफा
राजेश ठाकुर (Rajesh Thakur) ने कहा कि बकोरिया कांड में कौन लोग सम्मानित हुए यह बड़ा विषय है। सम्मानित होने वाले वहीं लोग थे, जो जांच के दायरे में आते, लेकिन CBI उन लोगों के दायरे में आती है।
इसलिए मामले को रफा-दफा किया जा रहा है। बकोरिया के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी। अदालत को भी देखना चाहिए कि क्या CBI की क्लोजर रिपोर्ट सही है।
इस कांड को पिछली भाजपा सरकार में पिछड़ी जातियों पर दमन बताते हुए झारखंड राजद की उपाध्यक्ष अनिता यादव ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल इस मुद्दे को यूं ही नहीं जाने देगा। भाजपा का ओबीसी विरोधी चेहरा अब सामने आया है।
सीपी सिंह ने आरोप को बताया बेबुनियाद
पूर्व मंत्री और भाजपा नेता CP सिंह ने बाकोरिया कांड पर भाजपा के दवाब में CBI द्वारा क्लोजर रिपोर्ट (Closure Report) सबमिट करने के आरोप को बेबुनियाद बताया है।
कहा कि भाजपा ने किसी को बचाने का ठेका नहीं ले रखा है। आज राज्य में महागठबंधन (Grand Alliance) की सरकार है। ऐसे में अगर सरकार में शामिल लोगों को लगता है कि पुलिस के पूर्व DGP या अन्य अधिकारी दोषी हैं तो वह खुद जांच कर कार्रवाई क्यों नहीं करती।
संक्षेप में जानिए बकोरिया कांड के बारे में नाना
झारखंड के पलामू इलाके के बकोरिया (Bakoria) में आठ जून 2015 को एक मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई थी। इस घटना को लेकर पुलिस ने दावा किया था कि उसने 12 नक्सलियों को मार गिराया है।
मृतक के परिजनों ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताया था और मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) से गुहार लगाई थी। सुनवाई के दौरान झारखंड उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2018 में मामले को CBI के हवाले कर दिया था।
इस घटना में जिन 12 लोगों की मौत हुई थी, उसमें दो नाबालिग और एक पारा शिक्षक (Para teacher) के भी मारे जाने की बात सामने आई थी। अब CBI द्वारा फर्जी मुठभेड़ का कोई सबूत नहीं मिलने का हवाला देते हुए क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई है।