कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान कल होगा। पहले चरण के चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेताओं ने प्रचार में सुस्ती दिखाई।
भाजपा और तृणमूल के कई बड़े नेता मतदाताओं को रिझाने के लिए सक्रिय रहे, लेकिन कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने बंगाल में प्रचार नहीं किया।
कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे राजनीतिक मजबूरी मान रहे हैं वहीं कुछ राजनीतिक मजबूरी बता रहे हैं।
शनिवार को राज्य के पांच जिलों की 30 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा।
यहां 191 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला जनता करेगी। चुनाव प्रचार का शोरगुल गुरुवार को ही थम गया था।
प्रचार के आखिरी दिन सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने धुआंधार रैलियां और जनसंपर्क किया।
चुनाव की तारीखों की घोषणा होते ही सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस सुस्त पड़ी रही।
चुनाव में मतदाताओं को रिझाने के लिए मुख्यमंत्री तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने दर्जनों सभाएं कीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी कई बार भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार करने पहुंचे। इसके विपरीत पहले चरण के चुनाव प्रचार के मामले में अब तक कांग्रेस सुस्त दिखी।
इस दौरान कांग्रेस का कोई बड़ा नेता अथवा स्टार प्रचारक चुनाव प्रचार करने नहीं आया।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस जान-बूझकर बंगाल में अपने बड़े नेताओं को प्रचार में नहीं उतार रही है।
इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि अगर कांग्रेस बंगाल में मजबूती से चुनाव लड़ती है तो इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा।
माना जा रहा है कि कांग्रेस बंगाल के चुनाव लड़ते हुए दिखना तो चाहती है लेकिन अपने बड़े नेताओं को प्रचार से दूर रखे हुए है।