तिरुवनंतपुरम: सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी के रुख में संदिग्ध परिवर्तन पर मंगलवार को केरल की विपक्षी पार्टियों – कांग्रेस और भाजपा ने माकपा को आड़े हाथों लिया।
यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट की सात-सदस्यीय पीठ के समक्ष लंबित है।
कांग्रेस ने पिछले हफ्ते कहा था कि अगर वह सत्ता में आती है तो सुप्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर एक कानून बनाया जाएगा।
इस पर अपनी प्रतिक्रिया में माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य एमवी गोविंदन ने कहा कि ऐसे समाज में द्वंद्वात्मक भौतिकवाद को लागू करना अव्यावहारिक था जो भौतिकवाद को स्वीकार करने के लिए तैयार ही नहीं था।
गोविंदन के इस बयान को हिंदू वोट पाने की एक कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य एमए बेबी ने कहा है कि इस बाबत एक हलफनामा शीर्ष अदालत में दिया जाएगा।
हालांकि जल्द ही वह अपने इस बयान से पीछे हट गए और कहा कि उनका मतलब यह था कि एक बार फैसला आने के बाद सभी वर्गों के साथ विस्तृत बातचीत होगी ताकि आगे का रास्ता तय किया जा सके।
शीर्ष अदालत द्वारा कुछ साल पहले मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने फैसले को लागू करने के लिए पुनर्जागरण आंदोलन की शुरुआत करने की हद तक चले गए।
लेकिन, इस मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन तेज हो गया और कट्टर आस्तिकों एवं पुलिस के बीच टकराव पैदा हो गया था।
माकपा नेता के बयान के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि इस तरह की बयानबाजी करना बेबी जैसे लोगों को शोभा नहीं देता क्योंकि पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया है।
गौरतलब है कि केरल में कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि वह सुप्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर एक कानून बनाने पर विचार कर रही है।
राज्य में अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
ऐसे में युनाइटेड डेमोक्रेटिक फंट्र (यूडीएफ) की यह पहल एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पहल साबित हो सकती है, क्योंकि यह मंदिर में प्रवेश के दौरान वर्षो पुरानी परंपरा को तोड़ने वालों के लिए दो साल जेल की सजा भी चाह रही है।
बहरहाल, इस संबंध में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और राज्य के पूर्व गृहमंत्री तिरुवंचूर राधाकृष्णन ने विधेयक का एक प्रारूप प्रकाशित किया है।
उनका कहना है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो प्रदेश में इस कानून को लागू किया जाएगा।
राधाकृष्णन ने हाल ही में कहा था कि इस प्रारूप के मुताबिक, सबरीमला मंदिर में प्रवेश करते समय वर्षो पुरानी रीतियों एवं परंपराओं का उल्लंघन करने वालों को गिरफ्तार किया जाएगा और दो साल के लिए जेल भी भेजा जाएगा।
इस विधेयक के मसौदे में तंत्री या प्रधान पुरोहित को मंदिर की रीतियों एवं परंपराओं के बाबत निर्णय लेने का पूरा अधिकार प्रदान किया गया है।
गौरतलब है कि 2019 के आम चुनावों में माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ को कांग्रेस के हाथों करारी हार मिली थी।
इन चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को 20 में से 19 सीटें मिली थीं।
इसका कारण माकपा और पिनरायी विजयन के खिलाफ हिंदू समुदाय का गुस्सा बताया जाता है, क्योंकि उन्होंने प्रतिबंधित आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी।
सबरीमाला मंदिर को बहुत ही पवित्र माना जाता है, क्योंकि यहां विराजमान भगवान अय्यप्पा को ब्रह्मचारी माना जाता है।
इस मंदिर में 10 से 50 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति प्रदान की थी।