पटियाला : Congress नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) आज 10 महीने बाद जेल से रिहा होंगे। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछले साल 19 मई को रोड रेज के मामले में एक साल की सजा सुनाई थी।
आज रिहा होने के बाद सिद्धू पटियाला जेल (Patiala Jail) के बाहर मीडिया से बात करेंगे। सिद्धू को पिछले साल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 1988 के रोड रेज केस में 1 साल की सजा सुनाई थी।
वे पिछले 10 महीने से जेल में बंद हैं। शुक्रवार को ही सिद्धू के Twitter हैंडल से जानकारी दी गई थी कि वह आज रिहा होंगे।
दो महीने पहले रिहा होने पर क्या बोले वकील
सिद्धू अपनी सजा से दो महीने पहले रिहा हो रहे हैं। उनके वकील एचपीएस वर्मा ने बताया कि Punjab Prison Rules के अनुसार अगर किसी कैदी का बर्ताव अच्छा होता है तो उसे समय से पहले रिहा किया जा सकता है।
अगर किसी कैदी का बर्ताव अच्छा रहता है तो हर महीने 5 से 7 दिन उसकी सजा कम होती जाती है। Bollywood एक्टर संजय दत्त (Sanjay Dutt) को भी इसी आधार पर समय से पहले रिहा कर दिया गया था।
27 दिसंबर 1988 की शाम पार्किंग को लेकर हुआ था विवाद
27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ Patiala के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे। इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई।
बात हाथापाई तक जा पहुंची। सिद्धू ने Gurnam Singh को घुटना मारकर गिरा दिया। उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
रिपोर्ट में आया कि Gurnam Singh की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ।
जानिये लोअर कोर्ट से कैसे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
इसके बाद सेशन कोर्ट में केस चला। 1999 में सेशन कोर्ट (Sessions Court) ने ने केस को खारिज कर दिया। इसके बाद केस हाईकोर्ट पहुंचा और दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई।
साथ ही 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। मई 2018 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab-Haryana High Court) ने सिद्धू और संधू को रोड रेज के मामले में दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई। मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
Supreme Court ने सिद्धू और संधू को सभी आरोपों से बरी कर दिया था। हालांकि, कोर्ट ने रोड रेज मामले में सिद्धू पर 1 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इसी फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई गई थी।