तिरुवनंतपुरम: अगर केरल में कांग्रेस की ओर से आ रही ताजा खबरों पर विश्वास किया जाए और अगर यह सच निकला तो यह निश्चित रूप से कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात होगी।
केरल में 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव होंगे और वोटों की गिनती 2 मई को होगी।
अगर सूत्रों को गंभीरता से लिया जाए तो 140 सदस्यीय केरल विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी 90 सीटों पर लड़ेगी।
इनमें से 75 सीटों का निर्धारण प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन करेंगे। संभावना जताई जा रही है कि प्रति सीट पर पार्टी का केवल एक ही उम्मीदवार हो ।
नाम न छापने की शर्त पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मैं वास्तव में विश्वास नहीं कर सकता कि क्या वाकई यह सच है क्योंकि ऐसा कुछ अतीत में कभी नहीं हुआ है।
आम तौर पर ऐसा होता है कि एक सीट के लिए, कम से कम चार या पांच नाम होते हैं और ऐसा मूल रूप से सभी गुट के नेताओं को शांत करने के लिए किया जाता है।
साथ ही पार्टी में उन लोगों के लिए एक मान्यता के रूप में देखा जाता है, जो सूची में शामिल हैं, भले ही, केवल एक ही अंतत: चुनाव लड़ेगा। अच्छा है कि हम इंतजार करें और देखें कि यह नया चलन सही है या नहीं।
बहरहाल, रामचंद्रन इस मामले पर फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने केवल इतना ही कहा कि सभी चीजें अच्छी तरह से आकार ले रही हैं और अगले सप्ताह तक सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।
इसमें न केवल संयुक्त डेमोक्रेटिक फ्रंट के सहयोगियों के साथ सीटों के वितरण को अंतिम रूप देना शामिल होगा, बल्कि कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची भी शामिल होगी।
गौरतलब है कि 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 87 सीटों पर चुनाव लड़ा और 22 में जीत हासिल की और इस बार कांग्रेस पार्टी 90 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
पार्टी ने 21 सिटिंग विधायकों और दिग्गज के.सी. जोसेफ के नाम को मंजूरी दे दी है, जिन्होंने कन्नूर जिले की इरकुर सीट से आठ बार रिकॉर्ड जीत दर्ज की है।
इस बात की प्रबल संभावना जताई जा रही है कि जोसेफ अपने गृह जिले कोट्टायम में चंगनाचेरी सीट से चुनाव लड़ेंगे।
हालांकि अंतिम सूची को राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ही मंजूरी प्रदान करेंगी।
लेकिन शीर्ष सूत्रों के अनुसार, इस बार उम्मीदवारों के चयन को लेकर राज्य और राष्ट्रीय नेताओं के सामने एकमात्र एजेंडा यही होगा कि उस संबंधित उम्मीदवार की जीत की संभावना कितनी प्रबल है।
दो स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि कांग्रेस के लिए उम्मीदवार चयन का यही एकमात्र मापदंड है।
इस सूची में उन अनुभवी दिग्गजों के लिए मायूसी की आशंका है, जिन्होंने कुछ चुनाव तो लड़े मगर पार्टी को जीत नहीं दिला सके। इस बात की संभावना है कि सूची में युवाओं और महिलाओं को तरजीह दी जा सकती है।