नई दिल्ली : तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को खराब प्रदर्शन की कीमत चुकानी पड़ सकती है।
प्रदेश के पिछले चुनावों में प्रदर्शन और बिहार में खराब स्ट्राइक रेट के बाद डीएमके विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को गठबंधन में ज्यादा सीट देने का जोखिम नहीं उठाना चाहता।
वहीं पुडुचेरी में भी डीएमके अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। ऐसे में कांग्रेस ने तमिलनाडु और पुडुचेरी विधानसभा चुनाव के लिए प्लान बी बनाना शुरू कर दिया है।
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। वर्ष 2011 के चुनाव में कांग्रेस ने 63 सीट पर चुनाव लड़ा था, पर वह सिर्फ पांच सीट जीत पाई। इस प्रदर्शन के बाद वर्ष 2016 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 42 सीट दी।
पर इस चुनाव में भी कांग्रेस कुछ खास नहीं कर पाई और 8 सीट जीती। इसलिए डीएमके इन चुनाव में कम सीट ऑफर कर रही है।
पर पार्टी लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को आधार बनाकर कम से कम 42 सीट मांग रही है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आठ सीट जीतने में सफल रही थी।
डीएमके के इस रुख को देखते हुए कांग्रेस ने प्लान बी बनाना शुरू कर दिया है। तमिलनाडु कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम पूरी कोशिश करेंगे कि डीएमके साथ मिलकर चुनाव लड़ें।
यदि डीएमके गठबंधन नहीं करना चाहता है, तो हमने अपने स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। हम उन सीट की पहचान कर रहे हैं, जहां पिछले तीन चुनावों में हमारा प्रदर्शन अच्छा था।
अकेले चुनाव ल़ड़ने की नौबत आई, तो हम 100 सीट पर चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस की इस कोशिश को डीएमके पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
क्योंकि कांग्रेस अकेले चुनाव मैदान में उतरती है, तो इसका सीधा नुकसान डीएमके को होगा।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि डीएमके इस वक्त कांग्रेस को गठबंधन से अलग करने का जोखिम नहीं उठाएगी, क्योंकि वोट बंटवारा होने पर चुनाव में एआईडीएमके-भाजपा गठबंधन का पलड़ा भारी हो जाएगा।
इसलिए डीएमके कांग्रेस को साथ रखने की कोशिश करेगी।