नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में गुरुवार सुबह दो नाबालिग लड़कियों के मृत पाए जाने की दुखद घटना से कांग्रेस और सत्तारूढ़ भाजपा आमने-सामने आ गई है।
उन्नाव के बाबूराह गांव में गुरुवार सुबह एक खेत में तीन नाबालिग लड़कियां बेहोशी की हालत में मिलीं।
उनके हाथ दुपट्टे से बंधे हुए थे।
इनमें से दो को जिला अस्पताल में मृत लाया गया, जबकि तीसरी बच्ची को गंभीर हालत में कानपुर के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। पोस्टमार्टम में जहर के कारण मौत की पुष्टि हुई है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पुलिस इस घटना पर पर्दा डालने और अकेली जीवित पीड़िता को उचित इलाज मुहैया नहीं कराने की कोशिश कर रही है और यहां तक मांग कर रही है कि दोनों मृत बच्चियों के शवों का पोस्टमार्टम एम्स में कराया जाए।
पार्टी ने एक बयान में कहा, कांग्रेस उन्नाव की बेटियों के साथ खड़ी है।
नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता अलका लांबा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की दौड़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की एक क्लिपिंग दिखाई, जिसमें उन्हें महिला सुरक्षा के बारे में बात करते हुए सुना जा सकता है।
अलका ने कहा, अकेली जीवित लड़की को उचित इलाज के लिए दिल्ली क्यों नहीं पहुंचाया गया?
हमें उम्मीद थी कि सरकार कुछ संवेदनशीलता दिखाएगी, क्योंकि उन्होंने इस मामले की तुलना पिछले साल यूपी के हाथरस में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या से की थी, जिसमें दावा किया गया था कि उस मामले में इलाज में देरी हुई और अब फिर यही हो रहा है।
कांग्रेस ने कहा कि परिजनों ने उन्नाव मामले की सीबीआई जांच की मांग की है, क्योंकि कोई भी यूपी पुलिस में विश्वास नहीं करता और हाथरस मामले में उन्होंने जिस तरह की जांच कराई, यह सबको पता है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस घटना के बारे में ट्वीट किया।
राहुल गांधी ने कहा कि यूपी में महिलाएं और दलित मानवाधिकारों के हनन का सामना कर रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया, कांग्रेस पार्टी ऐसे पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए लड़ेगी।
एक फेसबुक पोस्ट में प्रियंका गांधी ने इस घटना को दिल दहला देने वाला करार दिया और राज्य सरकार से तीसरी लड़की को उन्नत इलाज के लिए दिल्ली शिफ्ट करने और पीड़ितों के परिवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करने को कहा।
उन्होंने कहा कि खबरों के अनुसार, पीड़ित परिवार घर में नजरबंद हैं जो अस्वीकार्य है।