​लड़ाकू सुखोई-30 का निर्माण पूरा, आखिरी दो विमान भी तैयार

Central Desk

नई दिल्ली: हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने रूस से अनुबंधित 272 विमानों में से अंतिम दो सुखोई-30 एमकेआई का निर्माण पूरा कर लिया है और वायुसेना को देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

एक विमान में ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किए जाने की प्रणाली लगाई जा चुकी है जबकि दूसरे को फरवरी के अंत तक प्रमाणित करने की योजना बनाई गई है।

फिलहाल यह दोनों लड़ाकू विमान वायुसेना को सौंपने के लिए जरूरी औपचारिकताओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

भारत ने रूस से 272 सुखोई-30 लड़ाकू विमानों का अनुबंध किया था, जिसमें से सभी विमानों का निर्माण पूरा हो चुका है।

​यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है।

​ ​​2004 के बाद से ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत 222 विमान एचएएल की नासिक यूनिट को दिए गए। इनमें से 40 सुखोई विमानों का उन्नयन सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के हवाई संस्करण को ले जाने के लिए किया जाना था।

अब तक 38 विमान संशोधित करके वायुसेना को सौंपे जा चुके हैं जिनमें से कुछ को पिछले साल तमिलनाडु के तंजावुर हवाई अड्डे पर तैनात किया गया है।

अब 2 बचे सुखोई-30 को भी ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किए जाने के लिए मॉर्डनाइज कर दिया गया है। ​

एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर. माधवन ने कहा कि हालांकि ये दोनों विमान रूस से ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (टीओटी) परियोजनाओं में से अंतिम है।

इसके बाद सुखोई विमानों के उन्नयन का कार्य काफी हद तक बंद हो जाएगा लेकिन नासिक की एयरक्राफ्ट ओवरहाल डिवीजन मेें मिग सीरीज के विमानों और सुखोई-30 की मरम्मत और ओवरहालिंग जारी रहेगी।

एचएएल अब प्रतिवर्ष 15 से 25 सुखोई-30 एमकेआई को ओवरहाल करने की क्षमता रखने की तैयारी में है।

उन्होंने कहा कि सुखोई-30 का निर्माण समाप्त होने के बाद एचएएल अब 83 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस-एमके-1 ए के निर्माण की तैयारी कर रहा है, जिसके लिए दूसरे नये प्लांट का उद्घाटन आज ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया है।

​​इस समय वायुसेना के पास 261 सुखोई-30 लड़ाकू विमान हैं।

वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में इन 12 विमानों की भरपाई की जानी है, क्योंकि इतनी ही संख्या में सुखोई पिछले सालों में दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं।

​ ​पिछले जुलाई में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 10,730 करोड़ की लागत से रूस से 12 सुखोई-30 एमकेआई विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी।

सुखोई-30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है। सुखोई विमान हवा से हवा मार करने वाली नई मिसाइलों के लिए बेहद कारगर माने जाते हैं।

इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शित की गई वायुसेना की झांकी में भी सुखोई -30 एमकेआई को स्वदेशी रूप से विकसित एस्ट्रा और ब्रह्मोस मिसाइलों के साथ प्रदर्शित किया गया था।

अब वायुसेना के पास सुखोई-राफेल की जोड़ी बनने के बाद भारत की ‘आसमानी ताकत’ में काफी इजाफा हुआ है।