नई दिल्ली: केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को पूरा करने में एड़ी-चोटी का जोर लगा देगा।
उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव पर केंद्र सरकार नई सहकारी नीति बनायेगी।
राजधानी दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित पहले सहकारिता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय सहकारिता मंत्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया है।
सहकारिता मंत्रालय भी उनके इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए हर संभव कदम उठाएगा।
शाह ने कहा कि भारत सरकार का सहकारिता मंत्रालय सभी राज्यों के साथ सहकार करके चलेगा।
यह किसी राज्य से संघर्ष के लिए नहीं बना है। सरकारी समितियों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने का काम इस मंत्रालय के तहत होगा।
उन्होंने कहा कि कुछ समय के अंदर केंद्र नई सहकारी नीति लेकर आएगी।
वर्ष 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सहकारी नीति आई थी। अब वर्ष 2022 में मोदी सरकार लायेगी।
उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में नई सहकारी नीति बनेगी।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि नवगठित सहकारिता मंत्रालय के गठन की जरूरतों और महत्ता को रेखांकित किया गया।
इस मंत्रालय का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों तक विकास की पहुंच सुनिश्चित करना है। को-ऑपरेटिव (सहकारी) संस्थाओं को मजबूत करना और उनका आधुनिकीकरण कर आगे बढ़ाना है।
इसी संदर्भ में आगे उन्होंने कहा कि सहकारी संस्थाओं को पारदर्शी बनाकर उनको प्रतिस्पर्धा में टिके रखने के लिए ही इस मंत्रालय का गठन किया गया है।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मंत्रालय का गठन ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए किया है।
देश के अलग-अलग हिस्सों से आये सहकारी बंधुओं को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में हर वंचित जन तक विकास की पहुंच सुनिश्चित करने की चुनौती को पार करने की जिम्मेदारी सहकारिता मंत्रालय की है। यह मंत्रालय इसे संभव बनाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सहकारिता आंदोलन आज के दौर में सबसे ज्यादा प्रासंगिक है।
गांव को सहकारी संस्थाओं के साथ जोड़कर, सहकार से समृद्धि के मंत्र के साथ हर गांव को समृद्ध बनाना और उसके बाद देश को समृद्ध बनाना, यही सहकार की भूमिका होती है।
सहकारिता आंदोलन भारत के ग्रामीण समाज की प्रगति भी करेगा और नई सामाजिक पूंजी का कंसेप्ट भी तैयार करेगा।
उन्होंने कहा कि भारत की जनता के स्वभाव में सहकारिता घुली-मिली है। इसलिए भारत में सहकारिता आंदोलन कभी अप्रासंगिक नहीं हो सकता। आज देश में लगभग 91 प्रतिशत गांव ऐसे हैं, जहां छोटी-बड़ी कोई न कोई सहकारी संस्था काम करती है।
दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं होगा, जिसके 91 प्रतिशत गांव में सहकारिता उपस्थित हो।