नई दिल्ली: आज COVID-19 भारत में होने वाली सबसे ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार है। यह पिछले 9 सप्ताह में 26वें स्थान से पहले स्थान पर पहुंच चुका है। राज्यों ने भी दैनिक मृत्यु दर में वृद्धि हुई है।
वहीं अमेरिका, जर्मनी, चीन जैसे विकसित और पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे गरीब देश में भी कोरोना नियंत्रण में है। ऐसे में जनता के मन में सवाल उठने लगा है कि कोरोना की दूसरी लहर भारत के खिलाफ कोई अंतर्राष्ट्रीय साजिश तो नहीं है।
यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि कोरोना की पहली लहर में विश्व के बड़े देशों में भारत ही एकमात्र ऐसा देश था, जहां मृत्यु दर सबसे कम थी। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में भारत मौतगाह बन गया है।
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि भारत में अब कोरोना का वायरस हवा में तैर रहा है, इसके पीछे कोई जैविक हमला जैसी साजिश तो नहीं है।
जैविक हमले जैसे लक्षण
विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर का वायरस जिस तरह हवा में फैल रहा है, उससे ऐसा लगता है जैसे जैविक हमला हुआ हो। पहली लहर की अपेक्षा दूसरी लहर का वायरस काफी खतरनाक है।
आज स्थिति यह है कि कोरोना अप्रत्याशित रूप से भारत के शहर और गांवों में फैल चुका है। जबकि पिछली बार की अपेक्षा इस बार शहरों से गांवों की ओर लोगों का पलायन भी कम हुआ है।
कई देशों को चुभ रहा भारत
इस समय भारत कई देशों की निगाह पर चढ़ा हुआ है। जहां उसके अपने पड़ोसी देशों पाकिस्तान, चीन, नेपाल से संबंध खराब हैं, वहीं केंद्र सरकार की नीतियों के कारण अमेरिका, इंग्लैंड, रूस, जर्मनी जैसे देश भी भारत से नाराज हैं।
दरअसल, अमेरिका से संबंध अच्छे बनाने के चक्कर में सरकार ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ मुहिम चला रखी है।
इससे ये दोनों देश भारत से खार खाए बैठे हैं। वहीं अमेरिका और रूस जैसे देश भारत के बढ़ते प्रभाव से जल रहे हैं। इस कारण संभावना जताई जा रही है कि भारत को कमजोर करने के लिए जैविक हमला किया जा सकता है।
आर्थिक वर्चस्व की जंग तो नहीं
भारत में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को वैश्विक उद्योगपतियों की आर्थिक वर्चस्व की जंग का परिणाम भी माना जा रहा है।
दरअसल, भारत सरकार ने पिछले कुछ सालों में जिस तरह देश के दो उद्योगपतियों अंबानी और अडानी को संरक्षण देकर आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है, उससे वे विश्व के संपन्न उद्योगपतियों में शीर्ष पर चले गए हैं।
बताया जा रहा है कि अंबानी और अडानी की बढ़ती आर्थिक ताकत से अमेरिकी उद्योगपति खासे नाराज हैं।
ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कहीं किसी देश ने भारत से बदला लेने के लिए जैविक हमला तो नहीं कर दिया है।
गौरतलब है कि अमेरिकी उद्योगपति बिल गेट्स ने कोरोना वैक्सीन के फॉर्मूले को विकासशील और गरीब देशों से शेयर करने पर आपत्ति उठाई है। इस कारण अमेरिका की नीयत को संदेह के घेरे में देखा जा रहा है।
अमेरिका, चीन, रूस की आपसी लड़ाई का परिणाम
कुछ लोगों का मानना है कि अमेरिका, रूस और चीन के बीच चल रही वर्चस्व की जंग का परिणाम भारत को भुगतना पड़ रहा है।
माना जा रहा है कि तीनों की आपसी लड़ाई में किसी एक ने भारत पर जैविक हमला कर दिया है।
गौरतलब है की कोरोना वायरस को लेकर तीनों देश संदेह के घेरे में हैं। जहां अमेरिका, भारत सहित सभी देश कोरोना को चीन की उत्पत्ति बता रहे हैं, वहीं चीन, रूस और ईरान इसके लिए सीधे अमेरिका को निशाने पर ले रहे हैं।
अब कोरोना वायरस के भारत में हाहाकार मचाने के बाद दबेछिपे तरीके से ये आवाजें उठने लगी हैं कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर भारत के खिलाफ एक गहरी साजिश का नतीजा हो सकता है।
वैक्सीन निर्माता कंपनियां संदेह के घेरे में
कोरोना महामारी भारत में बेकाबू होती जा रही है। कहा जा रहा है कि यह कहीं वैक्सीन निर्माता कंपनियों की साजिश तो नहीं है।
पहले वायरस को बढ़ा-चढ़ा कर महामारी घोषित कर पैनिक कर दो फिर धीरे-धीरे कहो कि वैक्सीन लगने पर ठीक हो जाएगा। यह दवाओं को बेचने के लिए गेम प्लान तो नहीं है।